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Dhanbad News: गोबर से लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति बना रही शबरी बस्ती की महिलाएं

बलियापुर प्रखंड के ढांगी बस्ती निवासी महिलाएं महिला सशक्तीकरण का उदाहरण हैं. इनकी टीम हम है सशक्त महिला द्वारा गोबर से लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा, दीया, धूपबत्ती आदि बना रही है.

धनबाद.

बलियापुर प्रखंड के ढांगी बस्ती निवासी महिलाएं महिला सशक्तीकरण का उदाहरण हैं. इनकी टीम हम है सशक्त महिला द्वारा गोबर से लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा, दीया, धूपबत्ती आदि बना रही है. इनमें प्राकृतिक रंग का इस्तेमाल किया जा रहा है. इससे प्रति माह आठ से नौ हजार रुपये तक अर्जित कर रही हैं. इससे इनका आत्मविश्वास तो बढ़ा ही है, वे परिवार को भी आर्थिक सहयोग कर गौरव का अनुभव कर रही हैं. बना रहे

पूरी तरह शुद्ध व प्राकृतिक हैं दीये व धूपबत्ती

किसानों-गौ पालकों से गोबर खरीदकर इन महिलाओं तक पहुंचाया जाता है. टीम की महिलाएं दीया बनाने के लिए गोबर का डस्ट, मुल्तानी मिट्टी, ग्वार गम व जोश पावडर का इस्तेमाल करती हैं. सबको मिक्स कर टाइट डो तैयार किया जाता है. फिर उसे सांचा में ढालकर छांव में सुखाया जाता है. सुख जाने पर नेचुरल कलर से मूर्ति, दीया आदि को रंगा जाता है. टीम एक दिन में लगभग दो सौ दीया तैयार कर लेती है. धूपबत्ती बनाने के लिए गोबर के साथ भीमसेनी कपूर, जटामशी बूटी, धूना, शुद्ध देसी गाय का घी संगठन उपलब्ध कराता है. महिलाएं गोबर को सूखाकर उसे मशीन में पीसती हैं. जटामशी बूटी को भी मशीन में पीसने के बाद सभी सामग्री मिलाकर पानी डालकर धूपबत्ती के लिए पेस्ट बनाती हैं. उसके बाद तैयार पेस्ट को सांचा में भरकर धूप बत्ती बनाया जाता है.

सात महिलाओं से हुई थी शुरुआत

टीम लीडर रजनी बताती हैं कि इस ग्रुप की शुरुआत में सात महिलाएं जुड़ी थीं. फिलहाल 18 महिलाएं व बेटियां समूह से जुड़कर काम कर रही हैं. छोटी- मोटी आर्थिक समस्या आपसी लोन के जरिये निपटाती हैं. सभी दोपहर को काम निबटाने के बाद चार-पांच घंटे काम करती हैं. कुछ महिलाएं रात में काम करती हैं. उन्हें एक बड़े दीया के तीन रुपये व मीडियम दीये के डेढ़ रुपये मिलते हैं. तैयार माल की मार्केटिंग संगठन द्वारा की जाती है. समूह से गीता देवी, कविता देवी, ममता देवी, पूजा देवी, आशा देवी, सावित्री देवी, गुड़िया देवी, संगीता देवी, नेहा देवी, बरखा कुमारी, सारिका कुमारी, सोनाली , पूजा, काजल, माधुरी, लवली, मधु, खुशी, बबली जुड़ी हैं.

पर्यावरण के लिए भी हैं सुरक्षित

गोबर से बने मूर्ति, दीये व धूपबत्ती ईको फ्रेंडली होते हैं. इससे पर्यावरण सुरक्षित रहता है. इसकी खुशबू से कीटाणु भी मरते हैं और वातावरण सुगंधित होता है. इसका चूरा व राख खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. तालाब में मछली के चारे के रूप में भी काम आता है.

एकल अभियान यूथ ग्रुप ने दिखायी राह

एकल अभियान यूथ ग्रुप के आयुष तिवारी ने बताया कि ग्रुप द्वारा राष्ट्रोदय प्रोजेक्ट के तहत बलियापुर प्रखंड के ढांगी शबरी बस्ती में महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने व प्रकृति के संरक्षण के प्रयास के तहत बस्ती की महिलाओं को पहले गोबर के दीये बनाने का प्रशिक्षण दिया गया था. झरिया गौशाला के अध्यक्ष महेंद्र अग्रवाल,आयुष तिवारी, आकर्ष पांडे, अजीत मंडल, अभिषेक मंडल, पंकज सिसोदिया, सचिन दूबे, रिया मंडल, अंकित पांडे, रोहित भारती का सहयोग महिलाओं को मिल रहा है. वहीं कुसुम विहार पीपराबेड़ा, विवेकानंद बस्ती गोल्फ ग्राउंड में भी महिलाएं मूर्ति व दीये तैयार कर रही हैं.

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