Dhanbad News :
चंद्रशेखर सिंह.
टुंडी प्रखंड के पश्चमी हिस्सा को कभी नक्सलियों का गढ़ माना जाता था. लोग लगातार पलायन कर रहे थे. आज भी अधिकतर युवक रोजगार की तलाश में अन्य प्रदेशों में पलायन कर गये हैं. इसक अलावा प्रतिदिन पश्चिमी टुंडी के सैंकड़ों पुरुष-महिलाएं 407 मालवाहक में लदकर काम की तलाश मे राजगंज, कतरास, धनबाद जा रहे हैं. ऐसा नहीं कि उनके पास घर में रहकर कमाई का कोई जरिया नहीं है. उनके पास खेती योग्य जमीन भी है, जिस पर सब्जी की खेती कर सकते हैं. पर उनमें अभी भी जागरूकता का अभाव है. आये दिन किसान जागरूकता अभियान चलाया जाता है, पर यह नाकाफी है. कुछ लोग एक दो बार खेती करते हैं पर जल्द ही हिम्मत हार जाते हैं. ऐसे में मनियाडीह पंचायत के शीतलपुर, वीरगांव का युवक मनोज मुर्मू किसानों के लिए प्रेरणा बन रहा है. उसने ग्रेजुएशन की है. उसने भी काम की तलाश में कुछ दिन पलायन किया था, पर वहां उसका मन नहीं माना. उसने बताया कि बाहर में घंटों काम करना पड़ता था, इससे मन को चैन नहीं था. उसने तय किया कि घर लौट कर खेती करेंगे. इसी जज्बात के साथ मौसमी फसल उगाने का निर्णय लिया. मनियाडीह के गोयदाहा और जीतपुर के बीच जोरिया के पास जंगल में सड़क किनारे की उसकी निजी जमीन है, उसे तैयार कर खेती करने लायक बनाया.बाहर जाकर काम करने से अच्छा है वैज्ञानिक तरीके से खेती : मुर्मू
किसानी के कुछ गुर भी सीखे और उन्हें ब्लॉक से टपक सिंचाई योजना का लाभ भी मिल गया. मनोज ने पहली बार तरबूज की खेती की, उसे कुछ लाभ दिखा. दूसरे साल बड़े पैमाने पर की. अब खेती का दायरा बढ़ा दिया है. इस वर्ष लगभग चार एकड़ जमीन पर तरबूज, कद्दू और करेला की खेती की है. पहले दिन 80 किलो खीरा और 20-25 किलो कद्दू निकाला गया. मनोज मुर्मू ने बताया कि फिलहाल लोकल मार्केट में ही खास कर साप्ताहिक हाट में ही बिक जा रहा है. कहा कि वैज्ञानिक तरीके से यदि अपनी खेती की जाये, तो वह बाहर की प्राइवेट नौकरी से अच्छी है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

