धनबाद.
सनातन धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व है. पितृपक्ष आश्विन माह की प्रतिपदा से शुरू होता है, जो अमावस्या तक चलता है. पंडित गुणानंद झा ने बताया कि सात सितंबर को अगस्त्य तर्पण है. वहीं आठ सितंबर से पितृपक्ष शुरू होगा. इस बार पितृ पक्ष 14 दिनों का है. नवमी व दशमी तिथि एक ही दिन है. एक तिथि का क्षय है. इसका समापन 21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या के दिन होगा.पूवर्जों की आत्मा की शांति के लिए किया जाता है तर्पण
पितृपक्ष के समय पूर्वजों को याद करने व उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण व पिंडदान जैसे कर्मकांड किये जाते हैं. मान्यता है कि इस दौरान दान-पुण्य करने से पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है और पितृ दोष खत्म होता है. जिन पितरों के बच्चे पितृ पक्ष में तर्पण नहीं करते हैं. उन्हें निराशा होती है. इससे परिवार में विघ्न बाधा आती है.
ऐसे करें तर्पण
पितरों का तर्पण तिल, कुश मिले जल से करना चाहिए. हाथ को उल्टा कर अंगूठा व तर्जनी अंगुली के बीच से पूर्वज का नाम-गौत्र लेकर पुरुषों के लिए ””सतिलम जलम तस्मै स्वाधा”” तीन बार कहते हुई तर्पण करें. महिलाओं के लिए ””सतिलम जलम तस्यै स्वाधा”” तीन बार कहते हुए तर्पण करें.
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