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Dhanbad News: एनाटॉमी डिसेक्शन मशीन से मानव की संरचना व अंगों का अध्ययन करेंगे एमबीबीएस छात्र शरीर का अध्यय करेंगे एमबीबीएस छात्र

शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में एनाटॉमी डिसेक्शन मशीन की होगी खरीदारी

– एसएनएमएमसीएच में एनाटॉमी डिसेक्शन मशीन की होगी खरीदारी- एमबीबीएस छात्रों को थ्री डी एनिमेशन के जरिए मानव शरीर की जटिल संरचनाओं को देखने, समझने का मिलेगा अवसर

एनाटॉमी डिसेक्शन के लिए अब मेडिकल छात्रों को मानव शरीर पर नहीं करना होगा अभ्यासविक्की प्रसाद, धनबादशहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसएनएमएमसीएच) में एमबीबीएस छात्रों को आधुनिक तकनीक के जरिए मेडिकल शिक्षा प्रदान करने की तैयारी है. कॉलेज प्रबंधन ने एनाटॉमी विभाग के लिए अत्याधुनिक एनाटॉमी डिसेक्शन मशीन खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. यह मशीन मेडिकल छात्रों को मानव शरीर की संरचना व अंगों के अध्ययन में नई दिशा देगी. एनाटॉमी विभाग के चिकित्सकों के अनुसार यह मशीन वर्चुअल डिसेक्शन टेबल की तरह काम करती है. इसमें पूरे मानव शरीर का थ्री-डी दृश्य उपलब्ध रहता है. किसी भी अंग या हिस्से को अलग-अलग स्तरों पर काटकर देखा जा सकता है, जैसे वास्तविक शव पर डिसेक्शन किया जा रहा हो. इससे छात्रों को बिना किसी स्वास्थ्य जोखिम के हर संरचना को बारीकी से समझने का मौका मिलेगा.

मॉडर्न टेक्नोलॉजी से बदलेगा शिक्षण का तरीका

वर्तमान में मेडिकल कॉलेज में एनाटॉमी की पढ़ाई मुख्य रूप से पारंपरिक तरीके से की जाती है. इसमें छात्रों को शव (कैडवर) पर ही अध्ययन और अभ्यास कराना होता है. नई डिसेक्शन मशीन आने के बाद छात्रों को डिजिटल मॉडल और थ्री-डी एनिमेशन के माध्यम से मानव शरीर की जटिल संरचनाओं को देखने और समझने का अवसर मिलेगा. इससे न केवल शिक्षण प्रक्रिया सरल होगी, बल्कि यह अध्ययन को भी अधिक सटीक और इंटरैक्टिव बनायेगी.

मानव संरचना को जानने के लिए शवों पर नहीं रहना होगा निर्भर

रांची स्थित रिम्स में यह मशीन पहले से उपयोग में है, जहां शिक्षण की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है. एनाटॉमी डिसेक्शन मशीन की मदद से छात्रों को शरीर की सूक्ष्म संरचनाओं को समझने के लिए किसी व्यक्ति के शव पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. इसमें महिला शरीर, भ्रूण विकास और विभिन्न रोग स्थितियों को भी वर्चुअल मोड में दिखाया जा सकता है.

एमबीबीएस के साथ पीजी के छात्रों को होगा लाभ

एसएनएमएमसीएच में इस मशीन के आने से न केवल एमबीबीएस छात्रों को बल्कि पीजी स्तर के विद्यार्थियों को भी लाभ मिलेगा. डॉक्टरी की पढ़ाई में एनाटॉमी सबसे महत्वपूर्ण विषय होता है. पारंपरिक डिसेक्शन के दौरान शव की सीमित उपलब्धता व रखरखाव में आने वाली समस्याओं से अब राहत मिलेगी. यह मशीन शिक्षकों को भी बेहतर तरीके से पाठ समझाने में मदद करेगी. जटिल अंग जैसे मस्तिष्क, हृदय या लिवर की आंतरिक संरचना को अब थ्री-डी में दिखाया जा सकेगा.

मुख्यालय से मंजूरी मिलते ही शुरू होगी खरीदारी की प्रक्रिया

एसएनएमएमसीएच के प्राचार्य डॉ एसके चौरसिया ने बताया कि एनाटॉमी डिसेक्शन मशीन की खरीद के लिए प्रस्ताव तैयार कर राज्य स्वास्थ्य विभाग को भेजा गया है. स्वीकृति मिलने के बाद टेंडर प्रक्रिया शुरू होगी. उम्मीद है कि अगले कुछ माह में यह मशीन कॉलेज में स्थापित कर दी जायेगी.

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