सरकार का वादा था कि व्यवसायियों को अलग-अलग विभागों के दफ्तर के चक्कर नहीं लगाने होंगे. लेकिन आठ साल बाद भी सिंगल विंडो सिस्टम की परिकल्पना धरातल पर नहीं उतर पायी है. उद्यमियों को औद्योगिक लाइसेंस के लिए अब भी विभागों की दौड़ लगानी पड़ रही है.
2016 से अब तक सिंगल विंडो पोर्टल पर कुल 21,521 आवेदन आये
आंकड़े बताते हैं कि उद्योग लगाने के लिए 2016 से अब तक सिंगल विंडो पोर्टल पर कुल 21,521 आवेदन आये. इनमें 18,744 आवेदनों को स्वीकृति दी गयी, जबकि 1,800 आवेदन खारिज हुए. 934 आवेदन अब भी पेंडिंग हैं. उद्यमी बताते हैं कि सिस्टम तो बना, पर सुविधा नहीं मिली. पॉल्यूशन, लेबर, फैक्ट्री, इलेक्ट्रिसिटी, इएसआइ, पीएफ और जीएसटी समेत दर्जनों लाइसेंस के लिए अब भी उन्हें दो दर्जन से अधिक विभागों की दौड़ लगानी पड़ रही है. सिंगल विंडो में आवेदन करने के बाद भी संबंधित विभाग से मैनुअल वेरिफिकेशन और कागजी प्रक्रिया पूरी करनी पड़ती है.
नाम सिंगल विंडो, पर काम मल्टी विंडो सिस्टम का
सरकार का उद्देश्य था कि पोर्टल से सभी संबंधित विभागों से मंजूरी मिल जाये, ताकि राज्य में निवेश को बढ़ावा मिल सके. लेकिन उद्यमियों का कहना है कि सिस्टम का नाम तो सिंगल विंडो है, पर असलियत में यह मल्टी विंडो सिस्टम बन गया है. व्यावसायिक संगठनों की मांग है कि सिंगल विंडो को वास्तव में प्रभावी बनाने के लिए सभी विभागों को एकीकृत प्लेटफॉर्म से जोड़ा जाये और तय समय सीमा में स्वीकृति की बाध्यता लागू की जाये, तभी राज्य में निवेश के अनुकूल माहौल बन सकेगा.
गोविंदपुर-साहेबगंज रोड में बनेगा इंडस्ट्रीज कॉरिडोर, बना लैंड बैंक
पूर्वी टुंडी अंचल के गोविंदपुर-साहेबगंज रोड में इंडस्ट्रीज कॉरिडोर बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है. 534.31 एकड़ जमीन चिह्नित की गयी है. इसमें जीएम लैंड 154.01 एकड़ तथा रैयती जमीन 380.30 एकड़ है. जिला प्रशासन रैयती जमीन के अधिग्रहण की दिशा में काम कर रहा है. प्रशासनिक स्तर पर यह प्रस्ताव औद्योगिक विकास के लिए बड़ा कदम माना जा रहा है.
धनबाद में 27 हजार से अधिक उद्योग-धंधे
वर्तमान में धनबाद जिले में 27,012 उद्योग संचालित हैं. इनमें मीडियम इंडस्ट्रीज 31, लघु उद्योग 516 और टाइनी इंडस्ट्रीज 26,465 हैं. इन उद्योगों में 1,21,156 कर्मचारी कार्यरत हैं. औद्योगिक गतिविधियों से जिले की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है और हजारों परिवारों की रोजी-रोटी इससे जुड़ी है.
पिछले दो वर्षो में जिले में स्थापित या विस्तारित उद्योग
उद्योग—-निवेश राशि
केजी स्प्रिट धनबाद 250 करोड़अंकुर बायोकैम प्रालि निरसा 500 करोड़
एसीसी सीमेंट प्लांट (एक्सपेंशन) 600 करोड़एसोसिएट सिरॉमिक लि. चिरकुंडा 20 करोड़
गोविंदम फूड प्रोडक्ट (एक्सपेंशन) आठ करोड़शंकर फूड प्रोडक्ट गोविंदपुर चार करोड़
मूलय फूड प्रोडक्ट गोविंदपुर 3.84 करोड़उद्योग लगाने के लिए इन विभागों की मान्यता आवश्यक
उद्योग विभाग, वाणिज्य कर विभाग, श्रम नियोजन, पर्यावरण नियंत्रण बोर्ड, जियाडा, झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड, खाद्य वितरण एवं उपभोक्ता मामले, खान एवं भूतत्व, गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन, स्वास्थ्य चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग, ऊर्जा विभाग, कृषि पशुपालन, राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार, जल संसाधन, अग्निशमन, जीएसटी, परिवहन, नगर विकास, वन एवं पर्यावरण, विधि, उत्पाद एवं निषेध विभाग से एनओसी लेनी पड़ती है.पॉलिसी अच्छी है, लेकिन इसे सही तरीके से लागू नहीं किया जा रहा है
सिंगल विंडो पॉलिसी अच्छी है, लेकिन इसे सही तरीके से लागू नहीं किया जा रहा है. रांची से इसकी मॉनिटरिंग तो होती है, पर संविदा कर्मियों के भरोसे सिस्टम चल रहा है. स्थायी नियुक्ति और त्रैमासिक समीक्षा जरूरी है, ताकि एमएसएमइ उद्यमियों को वास्तविक लाभ मिल सके. – अमितेश सहाय, अध्यक्ष, झारखंड इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्सइंडस्ट्रीज एरिया का दायरा बढ़ रहा है
सरकारी लैंड बैंक बना है. इंडस्ट्रीज एरिया का दायरा बढ़ रहा है. गोविंदपुर-साहेबगंज रोड में प्रस्तावित इंडस्ट्रियल कॉरिडोर इसी दिशा में अहम कदम है. वर्तमान में जियाडा के तहत दो इंडस्ट्रीज एरिया चल रहे हैं, कांड्रा इंडस्ट्रीज (गोविंदपुर) 105 यूनिट है, जबकि सिंदरी के इंडस्ट्रियल एरिया में 34 यूनिट संचालित है. – राजेंद्र प्रसाद, महाप्रबंधक, जिला उद्योग केंद्रडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

