-सेमिकॉन इंडिया 2025
– इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग विभाग के फैकल्टी डॉ राजीव रंजन के नेतृत्व में तैयार हुआ है इंटीग्रेटेड सर्किटधनबाद.
नयी दिल्ली में मंगलवार को आयोजित सेमिकॉन इंडिया 2025 का मंच इस बार आइआइटी आइएसएम धनबाद के लिए ऐतिहासिक रहा. संस्थान के इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग विभाग के फैकल्टी डॉ राजीव कुमार रंजन के नेतृत्व में तैयार इंटीग्रेटेड सर्किट ‘एपीइइसी1’ को देश भर से आये विशेषज्ञों, उद्योगपतियों और नीति निर्माताओं ने सराहा. इस उपलब्धि ने संस्थान को स्वदेशी चिप डिजाइन और सेमीकंडक्टर शोध में राष्ट्रीय पहचान दिलायी है. इस चिप को विकसित करने का काम 2023 में शुरू हुआ था. तब इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इस प्रोजेक्ट के लिए 1.12 करोड़ रुपये की शुरुआती फंडिंग दी थी. बताते चलें कि सेमिकॉन इंडिया 2025 का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया. इसी दौरान प्रधानमंत्री ने आइआइटी आइएसएम द्वारा विकसित चिप का उल्लेख करते हुए इसकी तारीफ की.एससीएल के सहयोग से तैयार की गयी है चिप
डॉ रंजन व उनकी टीम ने चिप की डिजाइन पर काम शुरू किया था. जिसे बाद में मोहाली स्थित सेमीकंडक्टर लेबोरेट्री (एससीएल) के सहयोग से ‘चिपइन सेंटर’ के माध्यम से तैयार किया गया. भारत 2026 तक सेमीकंडक्टर उत्पादन और डिजाइन में आत्मनिर्भर बनने का लक्ष्य लेकर चल रहा है. ऐसे में आइआइटी आइएसएम का योगदान न केवल संस्थान की साख बढ़ाता है, बल्कि देश को सेमीकंडक्टर क्षेत्र में वैश्विक मानचित्र पर मजबूत स्थिति दिलाने में सहायक साबित होगा.क्या हैं चिप की विशेषताएं
‘एपीइइसी1’ एक लो-पावर एनालॉग मेमरेस्टर एमुलेटर है, जो जैविक सिनैप्स के व्यवहार की नकल करता है. यह चिप स्पाइक डेंसिटी डिपेंडेंट प्लास्टिसिटी (एसडीडीपी) जैसे एडवांस्ड लर्निंग मैकेनिज्म को सक्षम बनाती है. इसका प्रयोग न्यूरोमॉर्फिक कंप्यूटिंग, स्पाइकिंग न्यूरल नेटवर्क, क्रॉसबार एरेज और एज एआइ डिवाइस जैसे क्षेत्रों में किया जा सकता है. यह चिप एक मेगाहर्ट्ज से 30 मेगाहर्ट्ज के बीच काम करती है और ऊर्जा की खपत कम करती है. ऐसे में यह रीयल-टाइम एडेप्टिव लर्निंग सिस्टम के लिए बेहद उपयुक्त है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

