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Dhanbad News: अमेरिका में एच-1बी वीजा के बढ़े शुल्क से सबसे अधिक प्रभावित होंगे आइआइटी-आइएसएम के छात्र

Dhanbad News: खासकर आइटी और कंप्यूटर साइंस से जुड़े छात्र नयी पॉलिसी से सीधे प्रभावित होंगे क्योंकि उनके लिए अमेरिका अब पहले जितना सहज विकल्प नहीं रहेगा. जबकि बीआइटी सिंदरी के छात्रों पर इसका कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा.

अमेरिका की नयी एच-1बी वीजा पॉलिसी का बड़ा असर झारखंड के इंजीनियरिंग संस्थानों पर भी देखने को मिलेगा. वीजा के बढ़े हुए शुल्क से धनबाद में सबसे अधिक प्रभावित आइआइटी-आइएसएम धनबाद के छात्र होंगे, खासकर आइटी और कंप्यूटर साइंस से जुड़े छात्र नयी पॉलिसी से सीधे प्रभावित होंगे क्योंकि उनके लिए अमेरिका अब पहले जितना सहज विकल्प नहीं रहेगा. जबकि बीआइटी सिंदरी के छात्रों पर इसका कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा.

बड़ी संख्या में आइआइटी-आइसएम के विद्यार्थी हर वर्ष उच्च शिक्षा व शोध कार्य के लिए जाते हैं अमेरिका

आइआइटी-आइएसएम के उपनिदेशक प्रो धीरज कुमार ने बताया कि हर वर्ष संस्थान के विद्यार्थी बड़ी संख्या में पढ़ाई पूरी करने के बाद अमेरिका में उच्च शिक्षा और शोध कार्य के लिए जाते हैं. वहीं, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल और अमेजन जैसी अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनियां यहां से छात्रों का चयन करती हैं. नयी एच-1बी पॉलिसी के कड़े प्रावधानों और चयन प्रक्रिया में बदलाव के कारण इन कंपनियों में प्लेसमेंट और अमेरिका में अवसर तलाशने वाले छात्रों की राह कठिन हो जाएगी. कहा कि विशेष रूप से आइटी ब्रांच के छात्र अधिक प्रभावित होंगे.

नौकरी के लिहाज से अमेरिका तीसरे नंबर पर, जापान और यूके बने पसंदीदा देश

प्रो धीरज कुमार ने यह भी स्पष्ट किया कि बीते कुछ वर्षों में आइआइटी-आइएसएम धनबाद के छात्रों के लिए अमेरिका नौकरी के लिहाज से तीसरे नंबर पर पहुंच गया है. छात्र अब जापान और यूनाइटेड किंगडम (यूके) को ज्यादा प्राथमिकता दे रहे हैं. आइआइटी-आइएसएम का अमेरिका की कई यूनिवर्सिटीज और संस्थानों के साथ संयुक्त शोध और छात्र विनिमय कार्यक्रम (एमओयू) है. प्रो धीरज कुमार के अनुसार, नई पॉलिसी से इन शैक्षणिक कार्यक्रमों पर कोई असर नहीं पड़ेगा. एक्सचेंज और रिसर्च प्रोग्राम पहले की तरह जारी रहेंगे.

भारत के लिए अवसर भी

प्रो धीरज कुमार का मानना है कि इस पॉलिसी को लंबे समय में भारत के लिए एक अवसर के रूप में भी देखा जा सकता है. जब प्रतिभाशाली छात्र विदेश नहीं जाएंगे तो देश में ही अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा. इससे भारत में उच्च स्तरीय शोध कार्य और तकनीकी विकास को नयी दिशा मिलेगी.

बीआइटी सिंदरी के छात्रों पर असर नहीं

बीआइटी सिंदरी के करियर डेवलपमेंट सेंटर के चेयरमैन प्रो घनश्याम ने बताया कि संस्थान के छात्रों पर इस पॉलिसी का खास असर नहीं दिख रहा है. यहां के छात्र मुख्य रूप से भारत की सरकारी कंपनियों और कोर सेक्टर की निजी कंपनियों को प्राथमिकता देते हैं. केवल सीमित संख्या में ही छात्र अमेरिका उच्च शिक्षा या नौकरी के लिए जाते हैं. इस वजह से बीआइटी सिंदरी पर इसका प्रभाव नगण्य है.

चुनौती और अवसर दोनों

प्रो घनश्याम ने कहा कि अमेरिका की इस पॉलिसी से भारत के लिए चुनौती भी उत्पन्न हुई है और अवसर भी. देश में अभी अमेजन, गूगल या माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी तकनीकी कंपनियां नहीं हैं, इसकी वजह से छात्र अमेरिका का रुख करते थे. अब यह भारत के सामने चुनौती है कि वह अपने युवाओं के लिए यहां पर्याप्त अवसर पैदा करे. कहा कि यह ब्रेन ड्रेन को रोकने का अवसर भी है. अब वे प्रतिभाशाली छात्र, जिनका सपना अमेरिका जाकर बसने का था, अपने देश में ही रहकर तकनीकी विकास और राष्ट्र निर्माण में योगदान देंगे.

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