तीन दिवसीय यह सम्मेलन 15 अक्टूबर तक चलेगा, इसमें देश–विदेश के वैज्ञानिक, उद्योग विशेषज्ञ और शोधकर्ता शामिल हो रहे हैं. प्रोफेसर आरती कुमारी ने स्वागत भाषण दिया, जबकि प्रोफेसर शत्रुघ्न सोरेन ने ईंधन, खनिज व धातुकर्म अभियांत्रिकी विभाग के शोध कार्यों की जानकारी दी. डॉ डीके सिंह ने मुख्य अतिथि का परिचय कराया और प्रोफेसर विष्णु तेजा मंत्रिप्रगडा ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया. डॉ. वी.के. सारस्वत ने आइआइटी आइएसएम निदेशक प्रोफेसर सुकुमार मिश्रा और उपनिदेशक प्रोफेसर धीरेज कुमार के साथ माइनिंग इंजीनियरिंग विभाग की शोध सुविधाओं का भी अवलोकन किया. संस्थान के निदेशक प्रोफेसर सुकुमार मिश्रा ने कहा कि क्रिटिकल मिनरल्स भारत की ऊर्जा सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की कुंजी हैं. कहा कि आइआइटी धनबाद को हाल ही में ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन क्रिटिकल मिनरलाइजेशन’ की मान्यता मिली है. यहां बनने वाले इंडिया–यूके क्रिटिकल मिनरल्स ऑब्ज़र्वेटरी से डाटा एनालिटिक्स, नीति निर्माण और संसाधन प्रबंधन में क्रांतिकारी सुधार आएगा. इस ऑब्ज़र्वेटरी की घोषणा हाल ही में प्रधानमंत्री ने की थी और इसे संचालित करने की जिम्मेदारी आइआइटी-आईएसएम धनबाद को मिली है. यह संस्थान देश के ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन क्रिटिकल मिनरलाइजेशन’ के रूप में भी उभर रहा है. उन्होंने कहा कि जैसे इंजीनियरिंग में कंट्रोल सिस्टम संचालन को दिशा देता है, वैसे ही मिनरल्स प्रबंधन के लिए डाटा आधारित विश्लेषणात्मक ढांचे की आवश्यकता है.
तीन कंपनियों के साथ हुआ समझौता, क्रिटिकल मिनरल्स अनुसंधान को मिलेगी नई दिशा
उद्घाटन समारोह में नीति आयोग के सदस्य व पद्मभूषण डॉ वीके सारस्वत मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे. इस अवसर पर आइआइटी आइएसएम धनबाद ने तीन कंपनियों पॉलीप्रोटिक केमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड, मिनीमाइंस क्लीनटेक सॉल्यूशंस और सन टेक्नोसिस प्राइवेट लिमिटेड के साथ तीन समझौता पत्रों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया. इन समझौतों का उद्देश्य क्रिटिकल मिनरल्स के क्षेत्र में अनुसंधान, तकनीकी सहयोग और नवाचार को नई दिशा देना है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

