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Dhanbad News : घटते तालाब और बढ़ती आबादी के बीच छत और मोहल्लों में सिमटा छठ महाव्रत

Dhanbad News : निगरानी के अभाव में 15 वर्षों में निगम क्षेत्र के 100 तालाबों में से बचे हैं 86, इनमें से अधिकांश पर भी हो रहा कब्जा

Dhanbad News : वर्ष 2010 में धनबाद नगर निगम क्षेत्र में तालाबों की संख्या 100 थी, पर पिछले 15 वर्षों में इनमें से 14 तालाब गायब हो चुके हैं. अब ये तालाब केवल सरकारी कागजों पर हैं, पर हकीकत में इनका कोई अस्तित्व नहीं बचा है. जो 86 बचे हैं, उनकी भी स्थिति विकट है. उनमें से कई का अतिक्रमण के कारण दायरा सिमट गया है, तो अधिकांश में गंदगी की भरमार है. वहीं दूसरी ओर 15 वर्षों में निगम क्षेत्र की आबादी काफी बढ़ गयी, नतीजतन सार्वजनिक तालाबों और नदियों के किनारे मिल-जुल कर मनाया जाने वाला छठ महाव्रत अब घर की छतों और कॉलोनियों में गड्ढा खोद कर बनाये गये छठ घाटों पर सिमटता जा रहा है. इसका फायदा उठाया है बाजार ने और अब तरह-तरह के प्लास्टिक के वाटर टब का कारोबार रंग दिखा रहा है. बाजार के जानकारों की मानें, तो इस साल दो करोड़ का कारोबार केवल प्लास्टिक के वाटर टब का होगा.

प्राथमिकता सूची के निचले खाने में हैं तालाब :

दरअसल, जल स्रोतों के सबसे प्रमुख माध्यम तालाब कभी भी प्राथमिकता सूची में रहे ही नहीं. जब-जब जल संकट का दौर चला या फिर कोई अभियान, तभी तालाबों का संज्ञान लिया गया. वहीं दूसरी ओर शहरीकरण के दौर में कब्जा की प्रवृति ने भी तालाबों की बली ले ली. कहीं जमीन के दलालों ने बेच दिया, तो कहीं धीरे-धीरे भर कर अपने कब्जे में आसपास के लोगों ने ले लिया.

आबादी बढ़ी, पर जलस्रोत नहीं बढ़े :

अपने-अपने घरों से लाइन लगा कर छठ घाटों तक गीत गाते जाते व्रती को देखना सुखद है, पर इसमें कमी के पीछे एक और कारण है जिले की बढ़ती आबादी. जिस तेजी से आबादी बढ़ी उस तेजी से जलस्रोत नहीं बढ़े. यह भी एक बड़ा कारण है कि अब घर के छतों और मोहल्लों के कृत्रिम तालाब व्रतियों का सहारा बने हैं. आंकड़ों पर एक नजर डालें, तो धनबाद में करीब दो लाख घरों में छठ महापर्व मनाया जाता है. अब 40 फीसदी लोगों ने घरों की छत या मोहल्ले को ही प्राथमिकता दी है, शेष 60 फीसदी लोग ही तालाबों या नदियों तक जा रहे हैं.

450 से 20 हजार तक के बाजार में उपलब्ध हैं वाटर टब :

बाजार में इन दिनों वाटर टब की भारी मांग है. तीन फीट से लेकर 15 फीट तक के एयर टब और स्नैप टब धड़ाधड़ बिक रहे हैं. इनकी कीमत 450 से लेकर 20 हजार रुपये तक है. कारोबारियों के अनुसार छह से आठ फीट वाले टब की सबसे ज्यादा मांग है. इसकी कीमत 1000 से 1500 रुपये तक है. इस बार छठ पर वाटर टब से दो करोड़ रुपये के कारोबार का अनुमान है.

कोटसीओ से मांगी जा रही कब्जेवाले तालाबों की रिपोर्ट : नगर आयुक्तधनबाद के नगर आयुक्त रवि राज शर्मा ने कहा कि कुछ तालाबों पर अतिक्रमण है. अंचलाधिकारी से इसकी रिपोर्ट मांगी जा रही है. नगर निगम व अंचल स्तर पर कार्रवाई की जायेगी. महापर्व को लेकर तालाबों की साफ-सफाई युद्ध स्तर पर चल रही है. कुछ लोग तालाबों में पूजन सामग्री डाल रहे हैं, इसके कारण सफाई में परेशानी हो रही है. हालांकि 25 अक्तूबर तक शहर के सभी छठ तालाबों को चकाचक कर दिया जायेगा. जिन तालाबों में मछली हैं, वहां सिर्फ चूना डाला जायेगा. जिन तालाबों में मछली नहीं है, वहां ब्लीचिंग के साथ चूना डाला जायेगा. जिन तालाबों में पानी अधिक है, वहां बैरिकेडिंग की जायेगी. गोताखोर की भी व्यवस्था रहेगी.

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