धनबाद.
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसइ) ने नॉन अटेंडिंग स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया तेज कर दी है. हाल ही में रांची के एक नामी स्कूल में सीबीएसई की टीम औचक जांच के लिए पहुंची थी. इसके साथ देश के कई अन्य शहरों में भी बोर्ड की टीमें निरीक्षण कर चुकी हैं. इस सख्ती का असर धनबाद तक पहुंच गया है, यहां नॉन-अटेंडिंग फॉर्मेट पर चल रहे कई स्कूलों में हड़कंप मचा हुआ है. धनबाद में ऐसे कई सीबीएसई संबद्ध स्कूल हैं, जिनमें निचली कक्षाओं (नर्सरी से आठवीं तक) में छात्रों की संख्या कम है, जबकि नौवीं से बारहवीं तक में अचानक छात्रों की संख्या बहुत अधिक हो जाती है. बोर्ड को संदेह है कि ऐसे स्कूल डमी एडमिशन का सहारा लेकर छात्रों को बिना पढ़ाई कराये केवल परीक्षा दिलाने का काम कर रहे हैं.अभिभावक और स्कूल प्रबंधन आमने-सामने
सख्ती के बाद स्कूल प्रबंधन अभिभावकों को फोन कर बच्चों को हर हाल में नियमित कक्षा में भेजने के लिए कह रहा है. वहीं कई अभिभावक कह रहे हैं कि उन्होंने अधिक शुल्क इसलिए दिया था ताकि उनके बच्चे बिना बाधा के कोचिंग कर सकें. जबकि स्कूलों का कहना है कि संबद्धता बचाने के लिए छात्रों की उपस्थिति सुनिश्चित कराना अनिवार्य हो गया है.
75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य
धनबाद के 65 सीबीएसइ स्कूलों में इस समय 10वीं या 12वीं कक्षा तक पढ़ाई होती है. बोर्ड ने सभी स्कूलों को निर्देश दिया है कि बोर्ड परीक्षा में बैठने के लिए छात्रों की न्यूनतम उपस्थिति 75 प्रतिशत होनी चाहिए. सीबीएसइ के अनुसार केवल विशेष परिस्थितियों, जैसे चिकित्सा आपातकाल या राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भागीदारी में 25 प्रतिशत तक की छूट मिल सकती है, वह भी दस्तावेजी प्रमाण के आधार पर.
मान्यता पर भी खतरा
सीबीएसइ ने स्पष्ट किया है कि यदि निरीक्षण के दौरान छात्रों की उपस्थिति या रिकॉर्ड में गड़बड़ी मिली तो स्कूल की मान्यता तक रद्द की जा सकती है. वहीं, लगातार अनुपस्थित रहने वाले छात्रों को परीक्षा से वंचित किया जाएगा. फिलहाल, सीबीएसइ की इस सख्ती ने धनबाद के कई स्कूलों में बेचैनी बढ़ा दी है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

