रांची : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) ने राज्य सरकार पर बड़े आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के शासनकाल में भ्रष्ट प्रशासनिक अधिकारियों को बचाने और उनकी कुर्सी बचाये रखने की राजनीति चरम पर है. उन्होंने दावा किया कि पहले भी जिले के एसपी को नहीं हटाने के लिए पूरे आईपीएस बैच का प्रमोशन रोका गया था और एक भ्रष्टाचार के आरोपित डीजीपी को बचाने के लिए डीएसपी से आईपीएस प्रमोशन तक रोक दिया गया था. ये बातें उन्होंने शनिवार को सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर लिखी हैं.
बाबूलाल मरांडी का निशाना इस बार धनबाद के डीसी पर
दरअसल इस बार बाबूलाल मरांडी का निशाना आईएएस अधिकारी आदित्य रंजन पर है, जो फिलहाल धनबाद के डीसी हैं. उनका आरोप है कि DMFT (जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट) घोटाले में नाम आने के बावजूद आदित्य रंजन को एक साथ दो पदों पर बनाए रखा गया है. वह धनबाद के डीसी के साथ साथ रांची स्थित आईटी निदेशक का पदभार भी संभाल रहे हैं.
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ट्रांसफर के बाद भी पांच महीनों से आईटी निदेशक के पद पर बने रहने का आरोप
बाबूलाल मरांडी ने अपने आगे के पोस्ट में लिखा कि आदित्य रंजन का तबादला हो चुका है, इसके बावजूद वे पिछले पांच महीनों से आईटी निदेशक के पद पर जमे हुए हैं. उन्होंने पूछा कि आखिर यह व्यवस्था किस आधार पर चल रही है? क्या रांची में बैठे अन्य अधिकारी आईटी निदेशक बनने योग्य नहीं हैं? या फिर आपकी नीति यही है कि जो जितना बड़ा दुराचारी, उतना बड़ा पदाधिकारी?
बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सोरेन से क्या सवाल पूछा
बाबूलाल मरांडी अपने ट्वीट में आगे लिखते हैं कि झारखंड को प्रशासनिक दिखावा और कुर्सी बचाने वाली राजनीति नहीं, बल्कि पारदर्शिता और जवाबदेही की जरूरत है. उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सवाल किया कि एक अधिकारी को दो पद पर बनाए रखने के पीछे आखिर क्या मजबूरी है?
सरकार की तरफ नहीं आयी है कोई प्रतिक्रिया
इस मामले में सरकार या पार्टी के किसी व्यक्ति ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. हालांकि, डीएमएफटी फंड से जुड़े कई मामलों की जांच पहले से चल रही है, और विपक्ष कई बार इस मुद्दे को उठाता रहा है.
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