रांची हाइकोर्ट ने दिया निर्देश, तत्कालीन विधायक गुरुदास चटर्जी शुरू की थी लड़ाई
अरूप चटर्जी ने कहा- जीत की यह पहली मंजिल, जारी रहेगा शेष अधिकारों के लिए संघर्षDhanbad News : आखिरकार 30 वर्षो की लंबी लड़ाई के बाद बंद पड़े केएमसीइएल के श्रमिकों के लिए राहत की एक बड़ी खबर रांची हाइकोर्ट से आयी है. भले ही कारखाने को नये सिरे से चालू करने में सफलता नहीं मिली, लेकिन 554 श्रमिकों के बकाये भुगतान का आदेश जारी हो गया है. यह भुगतान तीन माह के अंदर किया जाना है. यह जानकारी शनिवार को निरसा के भाकपा (माले) विधायक अरूप चटर्जी ने दी. सनद रहे कि 1995 में कारखाना बंद हुआ था. लेकिन, कंपनी ने श्रमिकों के किसी प्रकार के बकाये का भुगतान नहीं किया. उसके बाद तत्कालीन विधायक गुरुदास चटर्जी ने 1996 में रांची हाइकोर्ट में रिट याचिक दायर की. उनके वर्ष 2000 में निधन के बाद उनके पुत्र विधायक अरूप चटर्जी ने लड़ाई को जारी रखा, जिसका सुखद परिणाम सामने आया. फैसले से से श्रमिकों में हर्ष का माहौल है.
634 मजदूरों का था दावा, कोर्ट ने 554 के दस्तावेज किये थे स्वीकृत
विधायक अरूप चटर्जी ने बताया कि उच्च न्यायालय, रांची ने भुगतान का आदेश नौ मई, 2025 को दिया है. बताया कि श्रमिकों के बकाया राशि के भुगतान की लड़ाई वर्षों से कुमारधुबी कर्मचारी कांग्रेस के बैनर तले लड़ी जा रही थी. यूनियन के अध्यक्ष होने के नाते पहले से दायर किये गये हलफनामा की शेष लड़ाई को उन्होंने जारी रखा. बताया कि यूनियन ने कुल 634 श्रमिकों के बकाया राशि का दावा किया था, उनमें से 554 श्रमिकों के सभी दस्तावेज जमा किये गये थे. शेष 80 श्रमिकों के नाम तो मिल गये थे, लेकिन अपरिहार्य कारणों से उनके सभी संबंधित दस्तावेज उपलब्ध नहीं हो सके थे. कहा कि तकनीकी कारणों से काफी समय तक यह मामला न्यायालय में लंबित रहा. उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि 554 श्रमिकों के दावे की राशि में से 50 फीसदी राशि का भुगतान तीन माह के अंदर कर दिया जाये, शेष 80 श्रमिकों के दावे के बारे में अगली सुनवाई में विचार किया जायेगा.हर तारीख पर अपने वकील से बकाया की मांग करती रही यूनियन : विधायक
श्री चटर्जी ने कहा कि कोर्ट ने इस आदेश के बाद दावे की राशि को सीज करने का प्रस्ताव यूनियन पक्ष को दिया, जिसका आशय था कि बकाये राशि पर भविष्य में कोई दावेदारी नहीं की जायेगी, लेकिन यूनियन पक्ष ने इसे मानने से इंकार कर दिया है. यूनियन ने कहा कि यह श्रमिकों की सेक्योर्ड क्रेडिट है, इसलिए इसकी दावेदारी बनी रहेगी. कोर्ट ने इस प्रस्ताव पर कोई निर्णय नहीं दिया. उन्होंने कहा कि बंद पड़े कारखाने की नीलामी के बाद से ही कुमारधुबी कर्मचारी कांग्रेस उच्च न्यायालय में बकाया भुगतान की मांग प्रत्येक डेट पर अपने वकील के माध्यम से कर रही थी. अंततः लिक्विडेटर ने 554 श्रमिकों के बकाया का आधा भुगतान का प्रस्ताव सुनवाई के दौरान न्यायालय में रखा. लिक्विडेटर के प्रस्ताव पर विचार करते हुए न्यायालय ने 554 श्रमिकों का बकाया का आधा राशि का भुगतान तीन माह के अंदर किये जाने का निर्देश दिया है. कहा कि श्रमिकों के बकाया भुगतान को लेकर उनका संघर्ष वर्षों से चला आ रहा है, जिसका कुछ परिणाम सामने आया है, और बकाया भुगतान को लेकर संघर्ष जारी रहेगा.दिसंबर 2024 से अभियान में आयी तेजी
सनद रहे कि दिसंबर, 2024 में उनके विधायक बनने के बाद इस अभियान में तेजी आयी. सरकार को समर्थन देने के कारण सरकार के स्तर पर भी इनकी बातों को गंभीरता से लिया गया और उद्योग मंत्री संजय यादव व विभागीय अधिकारियों के साथ तीन-चार दौर की बातचीत भी हुई, उसमें मजदूरों के बकाया भुगतान का मुद्दा प्रमुख रहा. सरकारी हस्तक्षेप के बाद मामले में तेजी आयी और अंततः न्यायालय ने श्रमिकों के पक्ष में फैसला सुनाया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है