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बीसीसीएल : कर्मियों के वेतन काे पैसे नहीं

धनबाद: बीसीसीएल की आर्थिक स्थिति लगातार चरमराती जा रही है. नौबत यहां तक आ गयी है कि अपने कर्मचारियों को वेतन देने के पैसे भी कंपनी के पास नहीं हैं. कंपनी को अपनी जमा पूंजी (फिक्स्ड डिपोजिट) तोड़ कर कर्मियों को भुगतान किया जा रहा है. यह सिलसिला पिछले सितंबर से जारी है. कंपनी के […]

धनबाद: बीसीसीएल की आर्थिक स्थिति लगातार चरमराती जा रही है. नौबत यहां तक आ गयी है कि अपने कर्मचारियों को वेतन देने के पैसे भी कंपनी के पास नहीं हैं. कंपनी को अपनी जमा पूंजी (फिक्स्ड डिपोजिट) तोड़ कर कर्मियों को भुगतान किया जा रहा है. यह सिलसिला पिछले सितंबर से जारी है. कंपनी के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो कंपनी ने अब तक करीब 1000 करोड़ की एफडी तोड़ी है. केवल जनवरी व फरवरी माह में कंपनी ने करीब 150 करोड़ की एफडी तोड़ी है. अपनी आय के बाद भुगतान में जो राशि घटती है, उसे एफडी के पैसे से दिया जाता है.
3000 करोड़ पावर प्लांटों पर बकाया
बीसीसीएल की चरमराती माली हालत का मुख्य कारण देश के पावर प्लांटों के पास कंपनी का बढ़ता बकाया है. देश के पावर प्लांटों के पास तीन हजार करोड़ रुपये का बकाया है. उसमें डीवीसी के पास करीब 975 करोड़, सेल के पास 300 करोड़, पंजाब पावर प्लांट के पास 80 करोड़, हरियाणा पावर प्लांट के पास 95 करोड़, यूपी पावर प्लांट के पास 142 करोड़ व डब्ल्यूपीडीसीएल के पास करीब 625 करोड़ का बकाया है. इससे वित्तीय स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है. कंपनी को वेतन मद में प्रतिमाह करीब दो सौ करोड़ रुपये खर्च होते हैं.
बीसीसीएल के पास 25 सौ करोड़ की एफडी
बीसीसीएल के पास करीब 25 सौ करोड़ रुपये की जमा पूंजी है. गत सितंबर, अक्तूबर व नवंबर माह में करीब सात सौ करोड़ व चालू फरवरी माह में भी करीब 110 करोड़ की एफडी तोड़ी गयी है. वहीं जनवरी में भी 150 करोड़ की एफडी तोड़े जाने की बात कही जा रही है.
करीब दो सौ करोड़ की राशि कर्मचारियों के वेतन मद में खर्च होती है. पावर प्लांटों के पास करीब तीन हजार करोड़ रुपये का बकाया है. बकाया राशि नहीं मिलने से परेशानी हो रही है. अपने खर्च व कर्मचारियों के वेतन देने के लिए फरवरी में माह में भी 110 करोड़ रुपये की एफडी तोड़नी पड़ी है. बकाया राशि की रिकवरी के लिए बातचीत चल रही है.
केएस राजशेखर, निदेशक वित्त (बीसीसीएल)

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