कोल इंडिया व उसकी अनुषंगी कंपनियों में वर्ष 2025 के जनवरी से जुलाई तक यानी सात महीनों के भीतर कुल 15 अलग-अलग दुर्घटनाओं में 17 कोलकर्मियों की मौत हुई है. इन मौतों में 11 विभागीय कर्मचारी व 6 ठेका श्रमिक शामिल हैं. यह आंकड़ा पिछले साल की तुलना में चिंताजनक वृद्धि को दर्शाता है. वर्ष 2024 की इसी अवधि में कुल 14 दुर्घटनाओं में 16 कोलकर्मियों की मौत हुई थी. इनमें पांच विभागीय व 11 ठेका श्रमिक शामिल थे.
बीसीसीएल व सीसीएल में दुर्घटनाओं में वृद्धि :
कोल इंडिया के ताजा आंकड़ों के मुताबिक इस वर्ष बीसीसीएल व सीसीएल में दुर्घटनाओं और मौतों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. बीते वर्ष की इसी अवधि में बीसीसीएल में कोई भी दुर्घटना नहीं हुई थी और सीसीएल में सिर्फ एक दुर्घटना में एक श्रमिक की मौत हुई थी. लेकिन इस वर्ष बीसीसीएल में तीन दुर्घटनाओं में तीन और सीसीएल में चार दुर्घटनाओं में चार श्रमिकों की मौत दर्ज की गयी है.एसइसीएल में हुई सबसे ज्यादा मौतें :
कोल इंडिया के कंपनीवार आंकड़ों पर नजर डालें, तो सबसे अधिक पांच मौतें एसइसीएल में हुई हैं. वहीं डब्ल्यूसीएल में एक दुर्घटना में तीन मौतें, सेंट्रल सीसीएल में 4, बीसीसीएल में तीन, इसीएल और एनसीएल में एक-एक मौत दर्ज की गयी है. एमसीएल इस सूची में शून्य पर कायम रहा.सबसे अधिक हादसे टिपर व डंपर से :
कोल इंडिया की सुरक्षा रिपोर्ट के मुताबिक इस वर्ष सबसे अधिक 3-3 मौतें टिपर व डंपर हादसों से हुई है. जबकि नॉन-ट्रांसपोर्ट मशीनरी (मशीनरी संचालन) और रूफ/साइड फॉल (खदान की छत या किनारा गिरने) से हुई है. इसके अलावा, फॉल ऑफ ऑब्जेक्ट/पर्सन्स से 2, विद्युत दुर्घटनाओं से 2, हॉलज-कन्वेयर वाइंडिंग दुर्घटनाओं से दो और फायर, गैस व डस्ट से एक श्रमिक की जान गयी है. डूबने व अन्य कारणों से भी एक-एक मौत हुई है. अच्छी बात यह है कि स्तर/डंप विफलता से इस वर्ष कोई जानमाल की क्षति नहीं हुई है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

