सिंदरी : स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया की महत्वाकांक्षी टासरा मेघा ओपेन कास्ट परियोजना एकबार फिर खुलेगी. केंद्र सरकार ने दो माह पहले राज्य सरकार को लीज नवीकरण की बाबत पत्र लिखा था. रघुवर दास की तत्कालीन सरकार ने अपने आखिरी दिनों के कार्यकाल में नवीकरण का आदेश जारी किया. लीज का रिन्यूअल होने के साथ परियोजना से जुड़े कर्मियों और आसपास के ग्रामीणों में आशा की किरण जगी है. टासरा परियोजना प्रबंधन अब सरकारी प्रक्रिया पूरी करने में जुटा है.
याद रहे कि यह प्रोजेक्ट सेल का भविष्य माना जाता है. केंद्र सरकार ने साल 2015 में इसे चालू करने की पहल की थी. प्रोजेक्ट से साल 2017 में उत्पादन शुरू हुआ. सेल टासरा से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि 28 साल तक चलने वाली परियोजना के लिए राज्य सरकार ने लीज का आदेश जारी कर दिया है.
कागजी प्रकिया शुरू की गयी है. यहां 1000 एकड़ भूमि पर माइनिंग कार्य होगा. सेल के पास विस्थापितों को आधुनिक सुविधाओं से लैस काॅलोनियों में बसाने की योजना है. जानकार बताते हैं कि परियोजना से उत्पादन शुरू होने पर विदेशी मुद्रा की बचत होगी, क्योंकि यहां कोकिंग कोल है. यह कोयला इस्पात प्लांटों में इस्तेमाल होता है. अभी भारत में बड़े पैमाने पर विदेशों से कोयला का आयात हो रहा है.
संजीवनी बूटी समान है प्रोजेक्ट
सेल के टासरा ओसीपी के महाप्रबंधक रहे एके राय ने बताया कि सेल के लिए यह परियोजना संजीवनी बूटी है. यहां की जमीन में 96.78 मिलियन टन कोयला है, जो उच्च कोटि का है. सच यह है कि यहां कोयला का बड़ा भंडार है, इसलिए संजीवनी बूटी समान है. श्री राय ने उम्मीद जताते हुए कहा कि इस वर्ष टेंडर की प्रक्रिया पूरी कर प्रोजेक्ट को शुरू किया जायेगा. वहीं परियोजना के मुख्य महाप्रबंधक टीके राय ने कहा कि उन्हें टासरा ओपेन कास्ट के बारे में कोई जानकारी नहीं है. यह पूछने पर कि मुख्य महाप्रबंधक को जानकारी नहीं होगी तो किसे होगी, इस पर अपनी दलील देते हुुए कहा कि हम मीडिया को जानकारी नहीं दे सकते हैं. फिलहाल वह रामनगर की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.
संकट में चासनाला कोलियरी प्रभाग
अभी पर्वतपुर ब्लॉक से छंटाक भर कोयला नहीं निकलता है. जबकि यहां मशीन के रखरखाव और अधिकारियों-कर्मचारियों पर लाखों का खर्च हो रहा है. सेल सूत्रों की मानें तो अगर टासरा प्रोजेक्ट चालू नहीं हुआ चासनाला कोलियरी प्रभाग बंद हो जायेगा. बीते 10 जनवरी को सेल अध्यक्ष अनिल कुमार चौधरी कोलकाता दौरे पर गये थे.
उच्च अधिकारियों के साथ मीटिंग में उन्होंने संकेत दिया कि अगर टासरा प्रोजेक्ट चालू नहीं हुआ तो घाटे में जा रहे कोलियरी प्रभाग को बंद कर दिया जायेगा. ऐसे में यहां के अधिकारियों और कर्मचारियों को कंपल्सरी रिटायरमेंट दिया जायेगा. याद रहे कि चासनाला कोलियरी प्रभाग के तहत चासनाला की दो भूमिगत खदान, जीतपुर की भूमिगत खदान एवं रामनगर (प. बंगाल) की एक खुली खान है.