23.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

बीसीसीएल को बंद करने की तैयारी?

मनोहर कुमार, धनबाद : लक्ष्य से कम कोयला उत्पादन व डिस्पैच, घाटे का बढ़ता ग्राफ, नीचे से ऊपर तक भ्रष्टाचार, ध्वस्त हो चुकी कार्यसंस्कृति, बाघमारा कोयलांचल समेत विभिन्न इलाकों में माफियाओं-रंगदारों का अातंक, विभिन्न खनन परियोजनाओं से कोयला की तस्करी, आउटसोर्सिंग कंपनियों की मनमानी से समेत विभिन्न समस्याओं व चुनौतियों से जूझ रहे बीसीसीएल को […]

मनोहर कुमार, धनबाद : लक्ष्य से कम कोयला उत्पादन व डिस्पैच, घाटे का बढ़ता ग्राफ, नीचे से ऊपर तक भ्रष्टाचार, ध्वस्त हो चुकी कार्यसंस्कृति, बाघमारा कोयलांचल समेत विभिन्न इलाकों में माफियाओं-रंगदारों का अातंक, विभिन्न खनन परियोजनाओं से कोयला की तस्करी, आउटसोर्सिंग कंपनियों की मनमानी से समेत विभिन्न समस्याओं व चुनौतियों से जूझ रहे बीसीसीएल को अब स्थायी मुखिया से विहीन होने की मार भी झेलनी पड़ रही है.
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी बीसीसीएल अपने 46 वर्षों के इतिहास में सबसे खराब दौर से गुजर रही है. सात अगस्त, 2015 को बीसीसीएल के तत्कालीन सीएमडी डॉ टीके लाहिड़ी के इस्तीफा के बाद से शुरू हुआ अनिश्चितता और अराजकता का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा. वर्ष 1972 में कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण के बाद पहली बार बीसीसीएल में ‘स्थायी सीएमडी’ की नियुक्ति गंभीर समस्या बन चुकी है. पूर्व के वर्षों में किसी सीएमडी के सेवानिवृत्त होने के पूर्व ही नये सीएमडी का चयन हो जाता था.
800 करोड़ का नुकसान
चालू वित्तीय वर्ष 2018-19 की प्रथम छमाही में बीसीसीएल को करीब 800 करोड़ रुपये का नुकसान होने की बात कही जा रही है, जो वित्तीय वर्ष की प्रथम तिमाही में करीब 450 करोड़ रुपये के करीब था. हालांकि सूत्रों की माने तो कोयला की क्वालिटी में सुधार के कारण कंपनी अपने इस घाटे को एक-दो माह में ही पाट लेगी और वित्तीय वर्ष में कंपनी को नुकसान के बजाय करीब 100 करोड़ लाभ होने की संभावना व्यक्त की जा रही है.
क्वालिटी के कारण हो चुका है 1371 करोड़ का नुकसान
पिछले वित्तीय वर्ष 2017-18 में बीसीसीएल को करीब 1975 करोड़ का नुकसान हुआ है. इसमें कोयला की खराब क्वालिटी के कारण कंपनी को करीब 1371 करोड़ का नुकसान शामिल है. हालांकि कंपनी के निवर्तमान सीएमडी अजय कुमार सिंह के प्रयास से कोयला की क्वालिटी में कई स्तर पर सुधार हुआ था.
18 माह से लक्ष्य से कम उत्पादन
अस्तित्व बचाने की चुनौती का सामना कर रहे बीसीसीएल की आर्थिक स्थित को उत्पादन, डिस्पैच में व्यापक सुधार कर सुदृढ़ बनाया जा सकता है, लेकिन पिछले 30 माह के परफॉरमेंस पर नजर डालें तो बीसीसीएल उत्पादन लक्ष्य में पीछे है. प्रभारी सीएमडी गोपाल सिंह के लिए भी लक्ष्य हासिल करना बड़ी चुनौती है. अप्रैल, 2016 से सितंबर, 2018 तक यानी 30 माह में बीसीसीएल सिर्फ चार माह ही अपने उत्पादन लक्ष्य को प्राप्त कर सका है. अप्रैल, 2017 से अब तक एक माह भी लक्ष्य के मुताबिक उत्पादन नहीं हुआ है.
यानी पिछले 18 माह से लगातार बीसीसीएल अपने लक्ष्य से पीछे चल रहा है. योग्य, अनुभवी व दक्ष माइनिंग मैन के साथ-साथ कुशल प्रबंधक के रूप में कोयला उद्योग में अपनी पहचान बनानेवाले बीसीसीएल के प्रभारी सीएमडी गोपाल सिंह से कंपनी को काफी उम्मीद है.
पिछले 30 माह में सिर्फ चार माह ही कोयला उत्पादन का लक्ष्य हासिल हो सका
चालू वित्तीय वर्ष में लक्ष्य का 38 फीसदी उत्पादन और 41 फीसदी डिस्पैच हुआ
वर्तमान में चुनौतियां
बीसीसीएल की सबसे बड़ी चुनौती अपने वार्षिक उत्पादन, डिस्पैच व ओवर बर्डेन (ओबी) निकासी लक्ष्य को प्राप्त करना है.
आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए कोयला की क्वालिटी में सुधार
मैनपावर व मशीनों का कैसे 100 प्रतिशत कैपेसिटी यूटिलाइजेशन हो
अनावश्यक खर्च में कटौती तथा कार्यसंस्कृति में सुधार
आउटसोर्सिंग कंपनियों की मनमानी पर नियंत्रण रखना
बाघमारा समेत कई इलाकों में सक्रिय माफियाओं-रंगदारों पर नियंत्रण
आउटसोर्सिंग कंपनियों के कोयला उत्पादन कार्य में बाधा पैदा करनेवालों पर नियंत्रण, विभिन्न कोलियरी क्षेत्रों से हो रही कोयला तस्करी पर रोक लगाना
भगवान भरोसे बीसीसीएल
कोयला उद्योग के विशेषज्ञ और ट्रेड यूनियन के नेताओं की माने, तो अप्वाइंटमेंट कमेटी ऑफ कैबिनेट (एसीसी) और कोयला मंत्रालय ने बीसीसीएल को भगवान भरोसे छोड़ दिया है. सात अगस्त, 2015 को डॉ लाहिड़ी के इस्तीफा के बाद कोल इंडिया के निदेशक तकनीकी एन कुमार (अब स्वर्गीय) को बीसीसीएल का प्रभारी सीएमडी बनाया गया. 16 अक्तूबर 2016 को श्री कुमार के आकस्मिक निधन के बाद 27 अक्तूबर 2016 को सीसीएल के सीएमडी गोपाल सिंह को बीसीसीएल का प्रभारी सीएमडी नियुक्त किया गया.
श्री सिंह 25 सितंबर तक बीसीसीएल के प्रभारी सीएमडी रहे. दो साल एक माह 18 दिन के लंबे इंतजार के स्थायी सीएमडी के तौर पर अजय कुमार सिंह ने 25 सितंबर, 2017 को सीएमडी पद पर योगदान दिया था. योगदान के 386 दिन बाद ही कोयला मंत्रालय द्वारा श्री सिंह को सीएमडी पद से हटा दिया गया. 388 दिनों के बाद पुनः सीसीएल सीएमडी गोपाल सिंह को बीसीसीएल की कमान सौंप दी गयी.
कई तरह की चर्चा
एक ओर केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) से सीबीआइ द्वारा चार्जशीटेड अधिकरी पीएस मिश्रा को क्लीयरेंस मिला और कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनी इसीएल का सीएमडी बनाया गया. दूसरी ओर बीसीसीएल सीएमडी पद के लिए अजय कुमार सिंह को कंफर्म नहीं किया गया. पूरे मामले में कई तरह की चर्चा है. सवाल भी खड़े किये जा रहे हैं. आखिर जिस अधिकारी को महाप्रबंधक से निदेशक ओर निदेशक से सीएमडी बनने तक सीवीसी से करीब चार बार क्लियरेंस मिला चुका हो. वाबजूद इसके उस अधिकारी को सीएमडी पद के लिए सीवीसी का हवाला देते हुए मंत्रालय द्वारा कन्फर्म नहीं करना कितना उचित है.
स्थायी सीएमडी नहीं की परेशानी
स्थायी सीएमडी के नहीं होने की वजह से कंपनी के डे टू डे के कार्य के सुपरविजन में परेशानी होगी. साथ ही महत्वपूर्ण निर्णय में देरी होने की संभावना बनी रहेगी. पूर्व में भी स्थायी सीएमडी नहीं होने के कारण महत्वपूर्ण प्रशासनिक निर्णय लेने में कमजोर साबित हुई है कंपनी.
प्रबंधन द्वारा समय पर निर्णय नहीं लेने के कारण नयी परियोजनाओं को शुरू करने का काम प्रभावित होता है. महत्वपूर्ण डेविएशन को मंजूरी नहीं मिल पाती है. फील्ड विजिट नहीं होने से अधिकारियों में भय खत्म हो जाता है. जमीन अधिग्रहण नहीं होने से नयी परियोजनाएं रूक जाती हैं.
बीआइएफआर में जाने का खतरा?
घाटे के साथ ही बीसीसीएल पर एक बार फिर बीमार होनेे का खतरा मंडराने लगा है. बीसीसीएल के इतिहास में सबसे अधिक समय तक सीएमडी रहे डॉ टीके लाहिड़ी का कार्यकाल महत्वपूर्ण रहा. करीब सात वर्षों तक (01 नवंबर 2008 से 07 अगस्त 2015) बतौर सीएमडी डॉ लाहिड़ी के कार्यकाल में कंपनी लगातार मुनाफा में रही. बीसीसीएल को 794.19 करोड़ से लेकर 2089.01 करोड़ तक का मुनाफा कमाया.
31 जनवरी, 2013 को औद्योगिक व वित्तीय पुनर्निमाण बोर्ड (बीआइएफआर) ने बीसीसीएल को बीमार उद्योगों की सूची से बाहर कर दिया. सात मार्च, 2013 को योजना आयोग ने बीसीसीएल को बेस्ट पब्लिक सेक्टर के विश्वकर्मा अवार्ड से नवाजा और डॉ. लाहिड़ी पांचवें बेस्ट सीइओ चुने गये. महत्वपूर्ण तथ्य यह कि श्री लाहिड़ी के नेतृत्व में बीसीसीएल की आर्थिक स्थिति सुधारने की जो मुहिम चली, उसने ‘देश के कोयलांचल की राजधानी’ मानेजाने वाले धनबाद के ‘अर्थतंत्र के बैकबोन (रीढ़ की हड्डी)’ को दुरूस्त करने का काम किया.
बीसीसीएल एक नजर में
47390
कुल मैनपावर
45173
मजदूर व कर्मचारी
2217
अधिकारी
70000-80000
टन प्रतिदिन औसतन उत्पादन
80000-90000
टन प्रतिदिन औसतन डिस्पैच
दिसंबर तक बिना डीटी के होगा बीसीसीएल
अजय कुमार सिंह को बीसीसीएल सीएमडी के पद से हटाने के बाद निदेशक तकनीकी (योजना व परियोजना) एके त्रिपाठी को भी हटाये जाने की चर्चा है. ऐसा हुआ, तो दिसंबर माह तक बीसीसीएल बिना निदेशक तकनीकी (डीटी) के हो जायेगा. कारण दिसंबर 2018 में बीसीसीएल के निदेशक तकनीकी (परिचालन) देवल गंगोपाध्याय भी रिटायर्ड हो रहे हैं, जबकि निदेशक तकनीकी (योजना व परियोजना) श्री त्रिपाठी को समय से पहले पद से हटाया जा सकता है.
चूंकि इसीएल में आउटसोर्सिंग कार्य को समय से पहले फॉर क्लोजर के मामले में डीटी श्री त्रिपाठी को भी चार्जशीट दिया जा चुका है. आधिकारिक सूत्रों की माने तो श्री सिंह पर मंत्रालय द्वारा हुई कार्रवाई के बाद डीटी श्री त्रिपाठी का जाना भी अब तय माना जा रहा है.
Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel