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नशे की आग में जल रही देवघर की युवा पीढ़ी

देवघर, जो अपनी धार्मिक आस्था और आध्यात्मिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, आज एक भयानक हकीकत से जूझ रहा है. नशे की लत, एक घातक बीमारी की तरह, देवघर की युवा पीढ़ी को निगल रही है. देवघर के ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी आबादी तक युवा पीढ़ी का एक बड़ा वर्ग नशे की जद में आ चुका है.

देवघर:

देवघर, जो अपनी धार्मिक आस्था और आध्यात्मिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, आज एक भयानक हकीकत से जूझ रहा है. नशे की लत, एक घातक बीमारी की तरह, देवघर की युवा पीढ़ी को निगल रही है. देवघर के ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी आबादी तक युवा पीढ़ी का एक बड़ा वर्ग नशे की जद में आ चुका है. कई मामलों में, घर पर युवाओं पर ध्यान नहीं देने, गलत दोस्तों का साथ, नशे को ””कूल”” समझने की धारणा युवाओं को इस दलदल में धकेल रही है. युवाओं में नैतिक शिक्षा और जीवन कौशल पर कम ध्यान देने के कारण भी ये अपने रास्ते से भटक रहे हैं. इन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने की पर्याप्त कोशिशें भी नहीं की जा रहीं हैं. यही वजह है कि, देवघर में नशे का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है और यह समाज को खोखला करता जा रहा है. देवघर में नशे से हो रहे सामाजिक नुकसान, बर्बाद हो रही युवा पीढ़ी और इसके कारोबार से जुड़ी स्थिति पर पहली सीरीज में पढ़ें….

देवघर में हाल के वर्षों में छिनतई, हत्या और लूट जैसी आपराधिक घटनाएं बढ़ी है, जिसकी एक बड़ी वजह नशा भी है. युवाओं को नशे की ऐसी लत लग गयी है, जिसकी खातिर वे अपराध करने से भी नहीं झिझक रहे हैं. 19 फरवरी की रात, सिंघवा में एक दर्दनाक घटना सामने आयी, जिसमें नशे के आदि एक युवक ने अपनी पत्नी और सास की हत्या कर दी और फिर घर के अंदर बने एक बॉक्स में छिप गया. 10 मार्च को हिंदी विद्यापीठ के पीछे, दयानंद सिंह नामक व्यक्ति के अधूरे बने घर में, विभांशु कुमार केसरी नामक युवक की बेरहमी से हत्या कर दी गयी. पुलिस ने मौके से नशे का सामान भी किया. यह सिर्फ दो घटनाएं हैं. देवघर में ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं, जहां युवा नशे की लत के शिकार होकर अपराधों का रास्ता अपना रहे हैं. यह सिर्फ देवघर की नहीं, बल्कि पूरे समाज की समस्या है.

सनक में कोई भी कदम उठाने को रहते हैं तैयार

देवघर में स्थिति यह है कि नशे का खर्च उठाने के लिए युवा भटक रहे हैं. इनके दिलोदिमाग पर नशा ऐसा लोग सनकी भी बन रहे हैं. नगर थानांतर्गत सिंघवा मुहल्ले में 19 फरवरी की देर रात बड़ी घटना हुई थी. दंपती की हत्या कर ड्रग्स एडिक्ट आरोपित उसके घर के अंदर बने बॉक्स में छिपा रहा. दूसरी घटना 10 मार्च को नगर थाना क्षेत्र में हिंदी विद्यापीठ के पीछे शिव विहार कॉलोनी स्थित चेतन फिल्ड के समीप स्थित दयानंद सिंह के अर्द्धनिर्मित ताला बंद बाउंड्री के अंदर बने एस्बेस्टस मकान के बरामदे में हुई थी. वहां मीना बाजार के समीप जलसार रोड निवासी विभांशु कुमार केसरी की नुकीले हथियार व ईंट से कूचकर हत्या कर दी गयी थी. घटनास्थल से पुलिस ने चिलम सहित यूज किया सिल्वर रैपर आदि बरामद किया था.

मादक पदार्थों की बिक्री अब गांवों में भी हो रही

नशीले मादक पदार्थों की पहुंच शहरी इलाकों से होते हुए तेजी से गांवों तक पहुंच चुकी है. शराब, ड्रग्स, गांजा व स्मैक सहित तरह-तरह के नशीले पदार्थों की खेप बड़े स्तर से लेकर छोटे स्तर तक सुगमता से लोगों तक पहुंच रही है. शहर का अधिकांश इलाका बरमसिया, सलोनाटांड़, करनीबाग, कुंडा, सत्संग, बंधा ब्राउन शुगर जैसे नशीले पदार्थ की बिक्री का गढ़ बन चुका है. अब ग्रामीण इलाके के बुढ़ैई व मोहनपुर के घोरमारा में भी तेजी से ब्राउन शुगर पीने वालों की संख्या बढ़ रही है.

बच्चों में भी सुलेशन व डेंडराइट की बढ़ रही लत, शराब व सिगरेट का शौक

शहरी क्षेत्र के कबाड़ चुनने वाले छोटे-छोटे बच्चे सुलेशन व डेंडराइट सूंघते हैं. वहीं अच्छे परिवार के किशोर भी नशे की चपेट में आने लगे हैं. बच्चे घर से ट्यूशन, कोचिंग जाते हैं तथा पान की गुमटियों से सिगरेट की फूंक मारते दिख रहे हैं. आजकल तो चाय-पान ठेले वाले स्कूली बच्चों को ही अपना स्थायी ग्राहक बनाकर उनके लिए नशा करने का अड्डा उपलब्ध कराते हैं. हालात यह है कि, नौवीं से लेकर 12वीं कक्षा तक के बच्चे सामान्यतः सिगरेट एवं गुटखा का सेवन चोरी-छिपे शुरू करते हैं. कॉलेज आते-आते नशे का दायरा और भी बढ़ता चला जाता है. गलत संगत के चलते गुटखे व सिगरेट सेवन करने वाले बच्चे व्यस्कता के साथ ही शराब, गांजा, ब्राउन शुगर व अन्य का प्रयोग कर रहे हैं. स्कूल के बाद पढ़ाई छोड़ चुके युवाओं में नशे का प्रचलन और अधिक बढ़ गया है. नशे के कारण युवाओं की किडनी, लीवर, फेफड़े खराब हो रहे हैं. इतना ही नहीं कैंसर व अन्य घातक बीमारियों की चपेट में भी जा रहे हैं.

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