मधुपुर. शहर के भेड़वा नवाडीह स्थित राहुल अध्ययन केंद्र में क्रांतिवीर बिरसा मुंडा व नाट्य कर्मी हबीब तनवीर स्मृति दिवस पर याद किये गये. दोनों विभूतियों की तस्वीर पर लोगों ने माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया. इस अवसर पर धनंजय प्रसाद ने कहा कि चाहे अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष की बात हो, आदिवासियों की जमीन लूटने, जबरन अनावश्यक टैक्स लादने कि मामला हो या जमींदारों व महाजनों द्वारा आदिवासियों पर अत्याचार करने का मामला हो बिरसा ने बड़ी भूमिका अदा की और अंग्रेजों व उनके दलालों को पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया. बिरसा का हुलगुलान(विद्रोह) ने अंग्रेजों को इतना भयभीत कर दिया कि अंग्रेजों ने एक रणनीति के तहत बिरसा मुंडा को आज के ही दिन खत्मा कर दिया, ताकि उनका हुलगुलान खत्म हो जाये पर बीरसा का हुलगुलान खत्म नहीं हुआ. वे आज भी जिंदा है. उन्होंने कहा कि देशज रंग पद्धतियों से आधुनिकता की तलाश करने वाला रंगकर्मी थे हबीब तनवीर वे प्रख्यात नाटककार, निर्देशक, पटकथा, लेखक, गीतकार और शायर थे.
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