संवाददाता, देवघर : झारखंड राज्य स्वास्थ्य सेवा संघ (झासा) की संताल परगना प्रमंडल स्तरीय पहली बैठक रविवार को देवघर के एक होटल में आयोजित की गयी. बैठक में राज्यभर के वरिष्ठ चिकित्सकों और पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया और चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ी कई ज्वलंत समस्याओं व मांगों पर खुलकर मंथन किया गया. बायोमैट्रिक उपस्थिति, डीएसीपी, सेवा संपुष्टि, ओपीडी समय और चिकित्सकों की सुरक्षा जैसे मुद्दे प्रमुखता से उठाये गये. बैठक के दौरान देवघर जिला झासा की नयी कमेटी का भी गठन किया गया.
झासा की बैठक में मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय आइएमए के उपाध्यक्ष सह देवघर जिला आइएमए के अध्यक्ष डॉ धन्वंतरि तिवारी शामिल हुए तथा इसकी अध्यक्षता झासा के राज्य अध्यक्ष डॉ बिमलेश सिंह ने की. स्वागत संबोधन प्रमंडलीय उपाध्यक्ष डॉ मोहन पासवान ने किया. बैठक में मुख्य अतिथि डॉ तिवारी ने कहा कि आइएमए व झासा को संयुक्त रूप से संगठित होने की जरूरत है, तभी दोनों संगठन और संगठन के सदस्य मजबूत रहेंगे. इससे सरकार या विभाग हमारी मांगों के प्रति गंभीर होगी. साथ ही उन्होंने डॉ कुंदन के साथ हुई मारपीट की घटना की निंदा करते हुए जल्द से जल्द आरोपित की गिरफ्तार करने की बात कही. राज्य सचिव डॉ ठाकुर मृत्युंजय ने कहा कि सरकार द्वारा चिकित्सकों की बायोमेट्रिक उपस्थिति को लेकर जान-बुझ कर फंसाया जाता है, ताकि सदस्य इसी में उलझा रहे और जो भी हमारी जायज मांगें हैं, उसको टाला जा सके. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र और बिहार के तर्ज पर डीएसीपी देय की अवधि का अंतराल रहे, उन्होंने यह भी कहा कि संगठन प्रतिबद्ध है कि लंबित डीएसीपी व सेवा संपुष्टि के लिए प्राथमिकता के आधार पर कार्य करेगी. बोकारो व गोड्डा जिले में उपायुक्त के आदेश पर चेहरा पहचान उपस्थिति पोर्टल बनाया गया है, जिसका संगठन विरोध करती है. उन्होंने कहा कि जो दंत चिकित्सक पीजी कर चुके है और कार्यरत हैं, उनको विशेषज्ञ चिकित्सक का कैडर बनाया जाये. वहीं सिविल सर्जन सह संगठन के संरक्षक डॉ युगल किशोर चौधरी ने कहा कि देवघर समेत कुल पांच जिले में ही ओपीडी नयी समय सारिणी के अनुसार चल रहा है, इससे मरीजों को ओपीडी में इलाज कराने में काफी परेशानी हो रही है. जबकि यह आदेश सभी 24 जिलों के लिए था. इसलिए पुरानी समय सारिणी के अनुसार ही ओपीडी चले. राज्य संरक्षक डॉ पीपी साह ने कहा कि सरकार बायोमैट्रिक उपस्थिति को वेतन से नहीं जोड़े. कुछ जिलों में उपायुक्त की ओर से इसे वेतन से जोड़ा गया है, जहां उसके खिलाफ मजबूती से संगठन अपनी बात रख रही है और उपायुक्त को अपना आदेश वापस लेना पड़ रहा है. राज्य अध्यक्ष डॉ बिमलेश ने कहा कि संगठन लंबित डीएसीपी व सेवा संपुष्टि के लिए प्रयास करेगी, साथ ही उन्होंने कहा कि दंत चिकित्सकों की सेवा नियमावली में बदलाव कर उनको बिहार के तर्ज पर चार डीएसीपी मिले और सामान्य चिकित्सकों के तर्ज पर उनकी रिटायरमेंट की उम्र सीमा भी 65 वर्ष से बढ़ा कर 67 वर्ष करे. साथ ही उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कार्यरत चिकित्सकों को जल्द से जल्द नई एचआर पॉलिसी सरकार लागू करे. इसके अलावा भी बैठक में कई प्रकार के बातों को रखा गया. बैठक में राज्य संयोजक डॉ शरद कुमार, देवघर आइएमए सचिव डॉ गौरी शंकर, डॉ अभय कुमार यादव, जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ संचयन, राज्य कार्यकारिणी के सदस्य डॉ प्रदीप सिंह, डॉ विकास कुमार, डॉ प्रीतिश प्रणय, डॉ राजीव कुमार, डॉ विकास कुमार ने भी अपनी बातों को रखा. मंच संचालन डॉ चितरंजन कुमार पंकज, डॉ नीतीश व डॉ नवनीता सिंह ने किया. जबकि डॉ प्रभात रंजन और राज्य झासा के संयोजक डॉ शरद कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया. मौके पर डॉ अवधेश सिंह, डॉ जियाउल हक, डॉ श्याम सुंदर सिंह, डॉ सुनील कुमार सिंह, डॉ शब्दकांत मिश्रा, डॉ सिंकी सिंहा, डॉ रूपक, डॉ अनुराधा , डॉ शंकर लाल मुर्मू, डॉ खालिद, डॉ महेश मिश्रा समेत अन्य थे.देवघर जिला झासा की नयी कमेटी का गठन, डॉ अभय बने अध्यक्ष
बैठक के दौरान देवघर जिला झासा के नयी कमेटी का भी गठन किया गया, जिसमें सर्वसम्मति से चुने गये नयी कमेटी के सदस्यों के नाम प्रमंडलीय उपाध्यक्ष डॉ मोहन पासवान ने रखे. इसमें संरक्षक सिविल सर्जन होंगे, वहीं अध्यक्ष डॉ अभय कुमार यादव, सचिव डॉ प्रभात रंजन, कोषाध्यक्ष डॉ अशोक अनुज, संयोजक डॉ अनिकेत, उपाध्यक्ष डॉ संचयन और डॉ परमजीत कौर, संयुक्त सचिव डॉ सिंह आलोक कुमार बिनोद कुमार और डॉ शालिनी को बनाया गया. वहीं जिला कार्यकारिणी सदस्यों में मधुपुर अनुमंडलीय अस्पताल के उपाधीक्षक सहित सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के अलावा डॉ अनिल कुमार, डॉ संजय कुमार, डॉ निवेदिता, डॉ प्रियंका, डॉ अम्बरीष ठाकुर, डॉ निताशा, डॉ नवनीता सिंह, डॉ अभिषेक प्रकाश को मनोनीत किया गया.हाइलाइट्स
झासा की प्रमंडलीय बैठक का आयोजन, संगठन मजबूती पर दिया जोरचिकित्सकों की मांगों पर खुलकर हुई चर्चा
आइएमए और झासा की एकजुटता की वकालत, चिकित्सकों के हित में साझा संघर्ष की बातचिकित्सकों की सुरक्षा से लेकर सेवा शर्तों तक के उठे मुद्दे
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