संवाददाता, देवघर : भादो सुदी पंचमी से चतुर्दशी तक मनाया जाने वाला जैन धर्म का पर्युषण महापर्व सह दशलक्षण पर्व का शुभारंभ गुरुवार को हुआ. इस अवसर पर स्थानीय जैन मंदिर में प्रथम दिन ‘उत्तम क्षमा धर्म’ मनाया गया. इसकी शुरुआत झंडोत्तोलन, दीप प्रज्वलन, सामूहिक पूजन और दशलक्षण धर्म पूजन से हुई. इसके बाद भगवान पार्श्वनाथ का प्रथम अभिषेक व शांतिधारा ताराचंद जैन, राजेश जैन, ऋषभ जैन और सम्मेद जैन सपरिवार के द्वारा किया गया. शाम को आरती व शास्त्र वाचन का आयोजन किया गया. पंडित ज्ञानचंद्र जैन ने उत्तम क्षमा धर्म पर प्रकाश डालते हुए कहा कि क्षमा धर्म क्रोध के पूर्ण अभाव में प्रकट होता है. क्षमा वीरों का आभूषण है. उन्होंने कहा कि पूजा, उपवास तभी सार्थक होगा, जब मन से क्रोध, मान, माया और लोभ को निकाला जाये. यह पर्व आत्मशुद्धि का संदेश देता है, जिसमें तप और संयम से जीवन को निर्मल बनाने का मार्ग बताया गया है. दशलक्षण धर्म के दस रूपों में उत्तम क्षमा, मार्दव, आर्जव, शौच, सत्य, संयम, तप, त्याग, आकिंचन और ब्रह्मचर्य शामिल हैं. इसमें महिलाएं, पुरुष और बच्चे सभी बड़ी संख्या में शामिल हुए. इस दौरान अध्यक्ष राजेश जैन, उपाध्यक्ष सुरेश जैन, मंत्री सुरेश पाटनी, कोषाध्यक्ष जुगल जैन, पवन जैन काला, नरेंद्र जैन सहमंत्री विवेक जैन सहित डॉ आनंद जैन, प्रमोद जैन, अजीत जैन, ज्ञानचंद जैन, गोलू जैन, राजा जैन, मंजू जैन, सीमा जैन, प्रमिला जैन, इंद्रा पाटनी, चित्रा जैन, शशि जैन, मीना पाटनी, कल्पना जैन, प्रीति जैन, सीमा जैन मेघदूत आदि उपस्थित थे.
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