संवाददाता, देवघर : बाबा नगरी का प्राचीन अढ़इया मेला सोमवार से शुरू हो गया. मेले के पहले दिन अपेक्षा के अनुसार भीड़ कुछ कम रही. स्थानीय पुरोहितों की मानें तो किसान व दुकानदार वर्ग के लोग सावन-भादो के दौरान दुकानदारी और खेती-बाड़ी के कार्य निबटाने के बाद अढ़इया मेले की कांवर यात्रा में शामिल होते हैं. भादो पूर्णिमा के अवसर पर सुल्तानगंज से आकर्षक व सुंदर कांवर लेकर कांवरिया ढोल-बाजे नाचते-गाते बाबा नगरी पहुंचते हैं. अधिकांश कांवरिये ढाई दिन में देवघर पहुंचते हैं, जबकि कुछ दो दिन में भी यात्रा पूरी कर लेते हैं. यही कारण है कि मंगलवार दोपहर बाद से कांवरियों की संख्या में इजाफा दिखेगा और बुधवार को मेला अपने पूरे रंग में नजर आयेगा. इससे पहले सोमवार को मंदिर का पट निर्धारित समय पर खुला. इसके बाद प्रधान पुजारी सह सरदार पंडा श्रीश्री गुलाब नंद ओझा ने बाबा की प्रथम सरदारी पूजा संपन्न करायी तथा सवा पांच बजे से आम भक्तों के लिए स्पर्श पूजा की शुरुआत हुई. पट बंद होने तक करीब 30 हजार कांवरियों ने जलार्पण किया. इनमें 1748 कांवरियों ने कूपन सुविधा का लाभ उठाया.
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