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डीआरडीए कर्मियों का हर वर्ष अटक जाता है वेतन

देवघर: देवघर में डीआरडीए कर्मियों को हर वर्ष वेतन के लिए तीन से पांच माह तक इतंजार करना पड़ता है. इस वर्ष भी लगभग 50 डीआरडीए कर्मियों को पिछले तीन माह से वेतन नहीं मिला है. डीआरडीए कर्मियों के वेतन मद में सालाना 1.30 करोड़ रुपया आवंटित होता है. कर्मियों का वेतन केंद्रीय ग्रामीण विकास […]

देवघर: देवघर में डीआरडीए कर्मियों को हर वर्ष वेतन के लिए तीन से पांच माह तक इतंजार करना पड़ता है. इस वर्ष भी लगभग 50 डीआरडीए कर्मियों को पिछले तीन माह से वेतन नहीं मिला है. डीआरडीए कर्मियों के वेतन मद में सालाना 1.30 करोड़ रुपया आवंटित होता है. कर्मियों का वेतन केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रलय (दिल्ली) से आवंटित होता है.

डीआरडीए कर्मियों का वेतन हेड में राज्य सरकार के पास कोई फंड नहीं स्वीकृत किया गया है. इस कारण केंद्र व राज्य सरकार के पेंच में डीआरडीए कर्मियों को कई माह तक वेतन के लाले पड़ जाते हैं. स्थिति यह हो गयी है कि जिला स्तर में डीडीसी व डीसी से लेकर राज्य स्तर से भी कई बार रिमाइंडर भेजने के बावजूद केंद्र सरकार समय पर वेतन की राशि नहीं भेजती है.

मनरेगा समेत अन्य कर्मियों का वेतन तैयार करने वाले डीआरडीए कर्मियों को खुद कई माह तक वेतन का इंतजार करना पड़ रहा है. इससे डीआरडीए कर्मियों के समक्ष कई आर्थिक परेशानियां खड़ी हो जाती है.

विशेष सचिव स्तर से बढ़ायी गयी फाइल : राज्य सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के विशेष सचिव के स्तर से केंद्रीय ग्रामीण विकास विभाग को डीआरडीए कर्मियों के वेतन के लिए पुन: फाइल बढ़ायी गयी है. इसमें राज्य भर के डीआरडीए कर्मियों का बजट है.

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