वरीय संवाददाता, देवघर : नगर थाना क्षेत्र के बाजला कॉलेज के सामने मॉडर्न पब्लिक स्कूल के गेट पर नौ दिसंबर की रात हुई दर्दनाक घटना में आलोक कुमार की मौत के बाद उपजे हालात को लेकर अब प्रशासन ने कड़ा रुख अख्तियार किया है. घटना के बाद आरोपितों की गिरफ्तारी व न्याय की मांग को लेकर 23 दिसंबर को एसडीओ द्वारा अनुमति नहीं दिये जाने के बावजूद देवघर बंद कराने, सड़क जाम करने और शहर की विधि व्यवस्था को बाधित करने के मामले में तीन यूट्यूबर सहित कुल 14 नामजद आरोपितों व अन्य अज्ञात के खिलाफ नगर थाना में प्राथमिकी दर्ज की गयी है. यह प्राथमिकी बतौर दंडाधिकारी प्रतिनियुक्त देवघर सीओ अनिल कुमार तथा सारवां बीडीओ रजनीश कुमार के संयुक्त प्रतिवेदन पर दर्ज की गयी है. दर्ज मामले में कहा गया है कि नगर थाना कांड संख्या 547/25 में दर्ज आलोक की मौत मामले के आरोपितों की गिरफ्तारी को लेकर मृतक के भाई आशुतोष कुमार द्वारा 23 दिसंबर को देवघर बंद का आह्वान किया गया था, जबकि इस बंदी को एसडीओ द्वारा स्पष्ट रूप से अवैध घोषित करते हुए अनुमति नहीं दी गयी थी. इसकी विधिवत सूचना आशुतोष को पूर्व में ही दे दी गयी थी. एसडीओ द्वारा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए कहा गया था कि सार्वजनिक बंद बुलाना अवैध है और इससे आमजनों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है. व्यापार करने का अधिकार, आवागमन की स्वतंत्रता और आम नागरिकों की जीवन व संपत्ति की सुरक्षा को खतरे में डालना पूर्णतः असंवैधानिक है. बावजूद इसके आरोपितों ने सरकारी आदेश की अवहेलना करते हुए पूर्व नियोजित कार्यक्रम के तहत 23 दिसंबर को दोपहर करीब 12 बजे वीआइपी चौक पर जुटान किया. उल्लेख है कि सीसीटीवी फुटेज और प्रतिनियुक्त वीडियोग्राफर द्वारा लिये गये वीडियो में यह स्पष्ट देखा गया कि आशुतोष कुमार सहित अन्य नामजद आरोपित और उनके हजारों समर्थक शहर के प्रमुख चौक-चौराहों पर एकत्र हुए. इस दौरान सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय यूट्यूबर स्वराज पोस्ट, झारखंड बिहार लाइव टुडे और देशवा बिहार-झारखंड सहित अन्य के माध्यम से भीड़ को उकसाने और कार्यक्रम को प्रचारित करने का आरोप लगाया गया है. आरोप है कि वीआइपी चौक से लेकर टावर चौक, राय एंड कंपनी, बाजला चौक और आगे सुभाष चौक की ओर बढ़ते हुए सड़क को पूरी तरह जाम कर दिया गया. आवागमन बाधित होने से आम लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा. आवश्यक सेवाएं प्रभावित हुईं. एंबुलेंस, स्कूली बसें और बाहर से आये यात्री जाम में फंसे रहे. स्कूली बसों में बैठे बच्चे भयभीत हो गये, जिसका उनके मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा. प्राथमिकी में यह भी कहा गया है कि आंदोलनकारियों द्वारा जबरन दुकानों को बंद कराया गया, जिससे व्यवसायियों को आर्थिक क्षति उठानी पड़ी. कई दुकानदारों को डराया-धमकाया गया. बंद के दौरान सरकार और पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर भीड़ को भड़काया गया. जिला प्रशासन द्वारा कई बार आशुतोष कुमार से वार्ता कर भीड़ को शांत कराने और यातायात सुचारू करने का अनुरोध किया गया, लेकिन इसका कोई असर नहीं पड़ा. टावर चौक पर घंटों तक सड़क पर बैठकर प्रदर्शन किया गया, जिससे शहर की विधि व्यवस्था पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गयी. दंडाधिकारियों और पुलिस द्वारा समझाने के प्रयास के बावजूद प्रदर्शनकारी अनियंत्रित बने रहे. प्राथमिकी में यह भी आरोप है कि इस दौरान पुलिस पदाधिकारियों के साथ जोर-जबरदस्ती की गयी. इसके अलावा, यह भी उल्लेख किया गया है कि घटना से पहले कई दिनों तक सोशल मीडिया के माध्यम से पुलिस, प्रशासन और सरकार के खिलाफ भ्रामक, विद्वेषपूर्ण और उत्तेजक पोस्ट व वीडियो प्रसारित किये जा रहे थे. इन पोस्टों के जरिये आमजनों में आक्रोश फैलाने और शहर की शांति व्यवस्था भंग करने का प्रयास किया गया. दर्ज प्राथमिकी में मृतक आलोक के भाई बिहार अंतर्गत गया जिला के रामपुर थाना क्षेत्र के मुस्तफाबाद एलआइजी-09 शहीद भगत सिंह काॅलोनी निवासी आशुतोष कुमार, देवघर के कृणाल राय, दीपक झा, दीपक सिंह, कृष्णापुरी निवासी आकाश सिंह, गोपाल सिंह, बंटा यादव, चंदन कुमार गोरे, प्रीतम तिवारी, कुंदन सिंह व पुष्कर नारायण सिंह को नामजद आरोपित बनाया गया है. साथ ही सोशल मीडिया यूट्यूबर स्वराज पोस्ट, झारखंड बिहार लाइव टुडे, देशवा बिहार झारखंड और अन्य अज्ञात को भी आरोपित किया गया है. इस संबंध में नगर थाना कांड संख्या 570/25 दर्ज कर पुलिस ने जांच-पड़ताल शुरू कर दी है. हाइलाइट्स देवघर में एसडीओ के आदेश की अवहेलना कर कराया गया था शहर बंद सड़क जाम, जबरन दुकान बंद कराने और सरकारी काम में बाधा का आरोप सोशल मीडिया के जरिये सरकार व प्रशासन के खिलाफ भ्रामक पोस्ट का मामला देवघर सीओ व सारवां बीडीओ के संयुक्त प्रतिवेदन पर नगर थाने में केस दर्ज
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