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नगर निगम में परिसीमन व आरक्षण का मामला

देवघर : नगर निगम चुनाव में वार्ड परिसीमन व आरक्षण को लेकर कई पार्षदों ने हाइकोर्ट में अपील करने का निर्णय लिया है. अगर हाइकोर्ट के निर्देश पर नगर निगम चुनाव टला तो मेयर, डिप्टी मेयर व पार्षदों की शक्तियों पर संशय बना हुआ है. इस मामले में विधि विशेषज्ञों की राय है कि पांच […]

देवघर : नगर निगम चुनाव में वार्ड परिसीमन व आरक्षण को लेकर कई पार्षदों ने हाइकोर्ट में अपील करने का निर्णय लिया है. अगर हाइकोर्ट के निर्देश पर नगर निगम चुनाव टला तो मेयर, डिप्टी मेयर व पार्षदों की शक्तियों पर संशय बना हुआ है. इस मामले में विधि विशेषज्ञों की राय है कि पांच वर्ष का टर्म पूरा होने के साथ ही पद की शक्तियां समाप्त हो जायेगी. जिला बार एसोसिएशन के सचिव प्रणय कुमार सिन्हा ने कहा कि जब तक अगला चुनाव नहीं हो जाता व दूसरे मेयर व पार्षद जीतकर नहीं आ जाते तब तक वर्तमान मेयर व पार्षद पद पर बने रहेंगे. हाइकोर्ट के निर्देश पर अगर चुनाव टला तो नगर निगम की कमेटियां काम नहीं करेगी. कमेटी किसी भी काम को संचालित नहीं कर सकती है. किसी प्रकार का निर्णय नहीं ले सकते हैं. इस बीच हाइकोर्ट अगर सुपरशीड का आदेश देती हो तो नगर निगम सरकार के अधीन हो जायेगी. नगर निगम का संचालन सरकार अपने स्तर से करेगी. देवघर नगरपालिका 1962 से 1972 तक सुपरशीड रह चुकी है. उसके बाद 1972 में चुनाव हुआ था.

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