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संक्रांति पर पूर्वजों को पिलाया जल, किया दान

संवाददाता, देवघरवैशाख संक्रांति पर लोगों ने पितरों को याद किया. इस अवसर पर मंत्रोच्चारपूर्वक पितरों को जल पिलाया. इसको लेकर बाबा मंदिर परिसर में भक्तों की भीड़ लगी रही. पुश्तैनी पुरोहितों ने परंपरागत तरीके से सारे धार्मिक कार्यक्रम कराये. कई लोगों ने समयाभाव के कारण घरों पर ही पितरों को जल पिलाया. इस दौरान अपने […]

संवाददाता, देवघरवैशाख संक्रांति पर लोगों ने पितरों को याद किया. इस अवसर पर मंत्रोच्चारपूर्वक पितरों को जल पिलाया. इसको लेकर बाबा मंदिर परिसर में भक्तों की भीड़ लगी रही. पुश्तैनी पुरोहितों ने परंपरागत तरीके से सारे धार्मिक कार्यक्रम कराये. कई लोगों ने समयाभाव के कारण घरों पर ही पितरों को जल पिलाया. इस दौरान अपने इष्ट देव, कुल गुरु, मातृ-पितृ कुल के तीन-तीन पूर्वजों को तिल-कुश के माध्यम से जल पिलाया. मौके पर दान स्वरूप अपने ब्राह्मण को जल, मिट्टी का घड़ा, पलास का पत्ता, सत्तू, कच्चा आम, कपड़ा, छाता आदि दान किये. इस संबंध में पंडित नील मणि मिश्र उर्फ मुन्ना महाराज ने कहा कि सनातन धर्म में पितरों को पानी देने की प्राचीन परंपरा है. इसमें मातृ पक्ष से मामा-मामी, नाना-नानी, परनाना-परनानी व पितृ पक्ष से पिता-माता, दादा-दादी, परदादा-परदादी आदि तीन पुश्त तक पानी पिलाया जाता है. वैशाख गरमी माह का सूचक माना जाता है. ऐसे में प्यासे पितर को पानी पिलाने से खुश होकर अपने वंशजों की रक्षा करते हैं. श्री मिश्र ने कहा कि संक्रांति में पेय पदार्थ दान देना स्वर्ण दान के बराबर होता है. यही कारण है लोग अपने घरों के बाहर प्याऊ खोलते हैं. राहगीरों को पानी पिलाते हैं.

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