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प्रवचन::::: प्रकृति के साथ एकता स्थापित करना आवश्यक है

एसीन प्रकृति के साथ कार्य करते थे. वे कृषक थे जिन्हें फसल, जमीन तथा जलवायु की अच्छी जानकारी थी. इसी कारण वे मरुस्थल में भी फल-सब्जियां तथा अन्न पैदा कर लेते थे. उनका विश्वास था कि पृथ्वी पर अपने अस्तित्व को बनाये रखने के लिए प्रकृति के साथ-साथ एकता स्थापित करना आवश्यक है. यही कारण […]

एसीन प्रकृति के साथ कार्य करते थे. वे कृषक थे जिन्हें फसल, जमीन तथा जलवायु की अच्छी जानकारी थी. इसी कारण वे मरुस्थल में भी फल-सब्जियां तथा अन्न पैदा कर लेते थे. उनका विश्वास था कि पृथ्वी पर अपने अस्तित्व को बनाये रखने के लिए प्रकृति के साथ-साथ एकता स्थापित करना आवश्यक है. यही कारण है कि उन्होंने प्रकृति के अध्ययन में रुचि ली तथा सत्य को समझ सके. ‘जीवन-वृक्ष’ उनकी रहस्यमय साधना का प्रतीक था. यह जीवन-वृक्ष इस बात का भी संकेत है कि उन्हें नाड़ी संस्थान, कुण्डलिनी योग और उच्च चेतना के जागरण की विधियों का बड़ा व्यावहारिक ज्ञान था. यह जीवन-वृक्ष चौदह रचनात्मक शक्तियों का प्रतीक था जिनमें से सात का ब्रह्माण्ड से व अन्य सात का पृथ्वी से संबंध था.

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