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लक्ष्मी देवी शर्राफ आदर्श संस्कृत महाविद्यालय में व्याख्यानमाला

संवाददाता, देवघर लक्ष्मी देवी शर्राफ आदर्श संस्कृत महाविद्यालय में आयोजित चार दिवसीय व्याख्यानमाला के दूसरे दिन ‘भाषाविज्ञानस्य प्रवृत्तय: एवं वाक्यविश्लेषणे कारकस्यावधारणा’ विषय पर व्याख्यान हुआ. विशिष्ट वक्ता के रूप में उपस्थित कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा (बिहार) के पूर्व कुलपति प्रो ब्रह्मचारी सुरेंद्र कुमार ने कहा कि भाषा विज्ञान के विभिन्न आयामों के आधार […]

संवाददाता, देवघर लक्ष्मी देवी शर्राफ आदर्श संस्कृत महाविद्यालय में आयोजित चार दिवसीय व्याख्यानमाला के दूसरे दिन ‘भाषाविज्ञानस्य प्रवृत्तय: एवं वाक्यविश्लेषणे कारकस्यावधारणा’ विषय पर व्याख्यान हुआ. विशिष्ट वक्ता के रूप में उपस्थित कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा (बिहार) के पूर्व कुलपति प्रो ब्रह्मचारी सुरेंद्र कुमार ने कहा कि भाषा विज्ञान के विभिन्न आयामों के आधार पर इटली, यूनान, फ्रांस, ग्रीक एवं जर्मनी के विभिन्न विद्वानों के मतों के अनुसार इस पर विश्लेषण किया. निष्कर्ष के रूप में पाणिनीय व्याकरण शास्त्र का समन्वय किया. भाषा सर्वदा ही परिवर्तनशील होती है. फिर भी पाणिनीय व्याकरण की उपयोगिता आज उतनी ही है. जितनी प्राचीनकाल में थी. वाक्य निर्माण प्रक्रिया में कारक की अवधारणाओं को स्पष्ट करते हुए कहा कि आधुनिक भाषाओं की प्रवृत्तियों में पाणिनीय व्याकरण आधारशील के रूप में समग्र भाषाओं के निर्माण में विशेष भूमिका का वहन करता है. अध्यक्षीय भाषण में प्रभारी प्राचार्य डॉ केशव कुमार राय ने संस्कृत भाषा के पठन-पाठन पर बल देते हुए आधुनिक समाज में संस्कृत की उपयोगिता का वर्णन किया. इससे पूर्व कार्यक्रम वैदिक मंगलाचरण एवं सरस्वती वंदना के साथ प्रारंभ हुआ. कार्यक्रम का संचालन व्याख्यानमाला के संयोजक डॉ गणेश राज जोशी ने किया. इस मौके पर अध्यापक विष्णुकांत झा, डॉ गंगाधर झा, डॉ अभयचंद्र झा, ज्ञानेश्वर शर्मा, डॉ राकेश कुमार पांडेय, सतीश शर्मा, विक्रम पंडित, दीपक कुमार ओझा सहित काफी संख्या में छात्र-छात्राएं आदि उपस्थित थे.

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