संस्कृत के सहस्त्रार शब्द का अर्थ एक हजार होता है. यद्यपि सहस्त्र दलों वाला कमल सहस्त्रार चक्र का प्रतीक है, तथापि उसके एक हजार दल यह दर्शाते हैं कि सहस्त्रार की व्यापकता तथा महत्व अनंत है. यह शून्य है. सहस्त्रार का शाब्दिक वर्णन इसलिए असंभव है कि वह शब्दातीत तथा धारणातीत है. वह अनुभव के भी परे है. यहां प्राण तथा चेतना का परस्पर विलय होता है. यह स्वयं में पूर्ण योग तथा समस्त योगी का चरम बिंदु है. जब साधक सहस्त्रार को पूरी तरह अपने नियंत्रण में कर लेता है, तब वह सभी अवस्थाओं से मुक्त हो जाता है. वह सिद्धियों से युक्त, दुख तथा बंधनों से मुक्त एवं आनंद में स्थित होता है. परंतु यदि वह स्वयं को इन सिद्धियों से निर्लिप्त तथा निरपेक्ष रख सके तो वह सर्वज्ञ होता है तथा दस सर्वोच्च चेतना का रहस्य समझा में आ जाता है.
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सहस्त्र दलों वाला कमल सहस्त्रार चक्र का प्रतीक
संस्कृत के सहस्त्रार शब्द का अर्थ एक हजार होता है. यद्यपि सहस्त्र दलों वाला कमल सहस्त्रार चक्र का प्रतीक है, तथापि उसके एक हजार दल यह दर्शाते हैं कि सहस्त्रार की व्यापकता तथा महत्व अनंत है. यह शून्य है. सहस्त्रार का शाब्दिक वर्णन इसलिए असंभव है कि वह शब्दातीत तथा धारणातीत है. वह अनुभव के […]
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