आम जन के हित में कम और राजस्व में वृद्धि पर ज्यादा ध्यान देवघर नगर निगम प्रशासन दे रहा है. राजस्व वृद्धि के लिए नगम प्रशासन ने टॉल टैक्स वसूली के लिए टेंडर कर दिया है. अब टेंडर प्राप्त करने वाले शहर के विभिन्न हिस्सों में बैरियर लगा कर छोटे-बड़े सभी प्रकार के वाहनों से टॉल टैक्स की वसूली कर रहे हैं.
टॉल टैक्स वसूली का स्थानीय बुद्धिजीवियों सहित आम लोगों द्वारा कई दफा विरोध भी किया गया. लेकिन, प्रशासन हर एक के विरोध को नजर अंदाज करता रहा. निगम प्रशासन के रवैये से आम जन आर्थिक व मानसिक रूप से परेशान है. आम जन के हितों का ख्याल करते हुए प्रभात खबर टॉल टैक्स वसूली की सच्चई से किस्तों में रु-ब-रू करा रहा है.
देवघर: देवघर नगर निगम क्षेत्र में एक अप्रैल 14 से कॉमर्शियल व प्राइवेट (छोटे-बड़े) वाहनों से वसूल किये जा रहे टॉल टैक्स की वैधानिकता पर ही सवाल खड़ा हो गया है. नगर निगम प्रशासन ने टॉल टैक्स वसूली का टेंडर करने के पूर्व न तो नगर विकास विभाग और न ही झारखंड सरकार से ही अनुमति ली. नियम एवं कायदे कानून को ताक पर रख कर टेंडर कर दिया.
एक मुश्त राजस्व की प्राप्ति को देखते हुए विभाग व सरकार से अनुमति भी लेना मुनासिब नहीं समझा. नतीजा नगर निगम के पार्षदों, बुद्धिजीवियों, वाहन मालिकों, स्थानीय लोगों द्वारा इसका विरोध शुरू कर दिया गया है. श्रवणी मेले के पूर्व लगातार मिल रही शिकायत को गंभीरता से लेते हुए सिविल एसडीओ देवघर ने स्पॉट (विभिन्न बैरियर) का औचक निरीक्षण कर टॉल टैक्स वसूली बंद कराते हुए बैरियर भी हटवा दिया. सिविल एसडीओ ने एक्ट 152 (3) का हवाला देते हुए टॉल टैक्स की वसूली बंद करते हुए स्थायी रूप से बैरियर हटाने का आदेश से संबंधित पत्र भी जारी किया. कुछ दिनों तक मामला शांत रहा. श्रवणी मेले के दौरान पूरे एक माह तक निगम प्रशासन ने खुद टॉल टैक्स की वसूली की. मेला खत्म होते ही टॉल टैक्स की वसूली का टेंडर प्राप्त करने वाले वसूलीग्रहीता के लोगों द्वारा शहर के विभिन्न प्रवेश द्वार पर बैरियर लगा कर टॉल टैक्स की वसूली शुरू कर दी गयी है. टॉल टैक्स की वसूली में बैरियर पर लगे लोगों को इससे कोई सरोकार नहीं रह गया है कि वाहन बाहरी है अथवा स्थानीय. टॉल टैक्स का भुगतान को लेकर कई दफा बैरियर पर तू-तू, में-में भी हो चुकी है.