देवघर: बाबा पर जलार्पण के लिए श्रावणी मेले के अंतिम सोमवारी को कांवरियों की भीड़ उमड़ पड़ी. हालांकि श्रवणी मेले की दूसरी व तीसरी सोमवारी की तरह कांवरियों की भीड़ नहीं होने के बावजूद भी कांवरियों का दबाव अधिक था.
सोमवार को जलाभिषेक के लिए कांवरिया रूट लाइनिंग में रविवार की देर रात से ही कतारबद्ध होने लगे थे. मध्य रात्रि के बाद कांवरियों का जत्था नंदन पहाड़ होते हुए बेलाबगान तक पहुंच गया था. सुबह होते-होते कांवरियों का जत्था डढ़वा पुल होते हुए चांदपुर तक पहुंच गया था. वन विभाग एवं नंदन पहाड़ के समीप पुलिस के जवानों, पदाधिकारियों एवं स्थानीय लोगों को खूब मशक्कत करनी पड़ी. भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बांस का बेरिकेटिंग किया गया. लेकिन, कांवरियों का दबाव अधिक होने की वजह से कई बार बांस की बेरिकेटिंग टूट गयी. भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कई बार लाठियां, बांस की फट्टी चटकायी गयी. कांवरियों की भीड़ को नियंत्रित करने में पुलिस के जवान सहित प्रशासनिक पदाधिकारी वन विभाग के पास जमे रहे. स्थानीय लोगों की मदद से कांवरियों की भीड़ को नियंत्रित करने में सफल हो पाये. बावजूद कतार आगे बढ़ने के क्रम में रूट लाइनिंग में रह-रह कर अफरा-तफरी मचती रही.
देवघर-जसीडीह का रूट 60 मिनट तक रहा डायवर्ट : बेलाबगान, डढ़वा नदी तक कांवरियों का दबाव अधिक होने की वजह से देवघर-जसीडीह का रूट लाइनिंग करीब एक घंटे तक डायवर्ट रहा. देवघर-जसीडीह का आवागमन सत्संग-कोरियासा मार्ग से कर दिया गया था.
वन विभाग के पास रह-रह कर होती रही अफरा-तफरी : कांवरियों का जत्था में दबाव अधिक होने की वजह से वन विभाग के समीप कांवरियों की कतार में रह-रह कर अफरा-तफरी मचती रही. यही हाल बेलाबगान, नंदन पहाड़, कुमोदिनी घोष रोड, बरमसिया चौक, बीएड कॉलेज व तिवारी चौक के समीप रही. अफरा-तफरी में एक दर्जन से अधिक पुरुष व महिला कांवरिये चोटिल हो गये.