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सदर अस्पताल में हंगामा, परिजनों ने डॉक्टर पर लगाया आरोप, इलाज में लापरवाही से महिला की मौत

देवघर: सदर अस्पताल में इलाजरत मोहनपुर थाना क्षेत्र के शशिभूषण ग्राम निवासी मीना देवी (38) की मौत हो गयी. इसके बाद परिजनों ने ऑन ड्यूटी डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा शुरू कर दिया. मामले की सूचना मिलते ही नगर थाना प्रभारी इंस्पेक्टर विनोद कुमार सहित कुंडा थाना प्रभारी राजीव रंजन, एएसआइ रामानुज […]

देवघर: सदर अस्पताल में इलाजरत मोहनपुर थाना क्षेत्र के शशिभूषण ग्राम निवासी मीना देवी (38) की मौत हो गयी. इसके बाद परिजनों ने ऑन ड्यूटी डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा शुरू कर दिया. मामले की सूचना मिलते ही नगर थाना प्रभारी इंस्पेक्टर विनोद कुमार सहित कुंडा थाना प्रभारी राजीव रंजन, एएसआइ रामानुज सिंह, धनंजय सिंह सशस्त्र बलों के साथ अस्पताल पहुंचे व लोगों को शांत कराया. मामले को लेकर मृतका के पति पंचानन दास ने लिखित शिकायत नगर थाना प्रभारी को दी.

नगर पुलिस मामले की जांच-पड़ताल में जुटी है. मृतका के पति पंचानन ने बताया कि उसकी पत्नी मीना पेट दर्द से बेचेन थी. गंभीर हालत में उसे इलाज के लिए रात्रि करीब 11 बजे सदर अस्पताल में भरती कराया. आरोप लगाया कि इलाज के लिए ऑन ड्यूटी डॉक्टर दिवाकर पासवान से आग्रह किया, तो उन्होंने अनभिज्ञता से सुबह में दुकान खुलने पर दवा लिखने की बात कही.

इसके पूर्व डॉ अनिकेत की मौजूदगी में मीना को लिकेज ऑक्सीजन लगा दिया गया था. इसके बारे में कहने पर डॉक्टर ने जवाब दिया कि दूसरा सिलिंडर सुबह में बदला जायेगा. ऐसी स्थिति में डॉक्टर ने मीना को अन्यत्र रेफर भी नहीं किया और सुबह 6:40 बजे उसकी मौत हो गयी. मामले की सूचना पाकर पूर्व मंत्री सुरेश पासवान समेत निर्मला भारती, सुधीर दास, विनोद वर्मा, सुरेशानंद झा, रवि ठाकुर, भूतनाथ यादव व अन्य भी पहुंचे. सभी ने मामले की जांच कर दोषी पर कार्रवाई की मांग की. इनलोगों का कहना था कि जहां पेट दर्द का भी ठीक से इलाज न हो सके, तो ऐसे अस्पताल का क्या औचित्य है. समाचार लिखे जाने तक नगर थाना में प्राथमिकी दर्ज करने की प्रक्रिया चल रही थी.

अस्पताल में नहीं रहती जीवन रक्षक दवाइयां
सदर अस्पताल में जीवन रक्षक दवाइयां भी इमरजेंसी में नहीं रहती है. अगर कोई घायल पहुंचता है, तो उसे मर्सिल भी खरीदकर लाना पड़ता है. वहीं गैस्ट्रोलॉजी मरीजों के पहुंचने पर परिजन को पेन्टोप्राजोल, रेबिप्राजोल जैसी इंजेक्शन भी बाहर से खरीद कर लाना पड़ता है. रात्रि में अगर एक्सरे-अल्ट्रासाउंड की जरूरत पड़ती है, तो उसके लिए भी मरीजों को भटकना पड़ता है.
सिविल सर्जन ने कहा
मरीज को गंभीर हालत में लाया गया था. डॉक्टर की लापरवाही का आरोप निराधार है. पूर्व में मरीज को कहीं बाहर दिखाया जा रहा था, पता चला है कि मरीज को कार्डियक प्रॉब्लम था. प्राइवेट में एक-दो डॉक्टरों के पास से घुमा कर रात को सदर अस्पताल पहुंचाया गया था.
डॉ एससी झा, सिविल सर्जन देवघर

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