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सेवानिवृत होकर बने प्रेरणा स्रोत, बच्चों को दे रहे खेल और संगीत की शिक्षा

सीनियर सिटीजंस ने प्रभात खबर के कार्यक्रम में अपने अनुभव को साझा किया

: सीनियर सिटीजंस ने प्रभात खबर के कार्यक्रम में अपने अनुभव को साझा किया रिपोर्ट-दीनबंधु/धर्मेंद्र चतरा. सरकारी सेवा से सेवानिवृत होने के बाद दूसरी जिंदगी जीना आसान नहीं होता है. पहली बार जब किसी की नौकरी लगती है, तो नौकरी उनके जीवन में एक हिस्सा बन जाती है. पूरा ध्यान अपनी नौकरी व अपने बच्चों के पालन पोषण के साथ-साथ शिक्षा पर होती है. लेकिन सरकारी सेवा से रिटायर्ड होने के बाद सीनियर सिटीजन के रूप में अलग अंदाज से जिंदगी जीते हैं. कुछ ऐसे ही लोग हैं, जो सेवानिवृत होने के बाद अपने जीवन की दूसरी पारी का भरपूर आनंद उठा रहे है. सेवानिवृत होने के बाद कुछ लोग किस तरह अपनी जिंदगी व्यतीत कर रहे हैं, इसके बारे में बताया. कुछ सीनियर सिटीजन समाज सेवा से जुड़ गये, तो कुछ बच्चों को खेलकूद, तो कोई संगीत सीखा रहे हैं. पेंशनरों के लिए कर रहे हैं कार्य : सीताराम सिंह सिमरिया के सीताराम सिंह 1973 में शिक्षक बने. 2010 में आदर्श मध्य विद्यालय बगरा से सेवानिवृत हुए. 37 वर्षों तक शिक्षक बन कर कार्य किया. फिलहाल वे प्रखंड पेंशनर समाज के अध्यक्ष हैं. पेंशनरों के लिए हमेशा कार्य कर रहे हैं. पेंशनंरो की समस्याओं का समाधान बैंकों में जाकर कराते हैं. किसी पेंशनर की मौत होने के बाद उनकी पत्नी को पेंशन दिलाने का काम करते हैं. वे समाजसेवा से भी जुड़े हुए हैं. शास्त्रीय संगीत की शिक्षा दे रहे है : रामविनित पाठक सिमरिया के रामविनित पाठक प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद 1972 में शिक्षक बने. 35 वर्षों तक नौकरी करने के बाद 2007 में टंडवा के उत्क्रमित मध्य विद्यालय मिश्रौल से सेवानिवृत हुए. फिलहाल वे प्रखंड पेंशनर समाज के सचिव हैं. पेंशनरों व लोगों की मदद नि:स्वार्थ भाव से कर रहे हैं. सरस्वती संगीत कमेटी से 23 वर्षों से जुड़े हुए हैं. कमेटी के सचेतक हैं. शास्त्रीय संगीत की शिक्षा देते हैं. कहा कि पर्यावरण संरक्षण को लेकर लोगों को जागरूक भी कर रहे है. सामाजिक कार्याें से जुड़े हैं: धनेश्वर ठाकुर बानासाड़ी गांव के धनेश्वर ठाकुर 1974 में सरकारी शिक्षक बने. वे 39 वर्षों तक नौकरी के बाद वर्ष 2013 में मध्य विद्यालय से सेवानिवृत हुए. वे सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं. लोगों को योग, अनुष्ठान, योग साधना कार्य कर सांस्कारिक बना रहे हैं. गांव के छोटे-छोटे विवादों को बैठ कर सुलझाते हैं. पेंशनरों की मासिक गोष्ठी में आयी समस्याओं का समांधान करते हैं. उन्होंने कहा कि अपने समाज के लोगो को सामाजिक कुरीतियों से दूर रहने के लिए जागरूक कर रहे हैं. खेती करने के लिए जागरूक कर रहे हैं: बलराम सिंह बानासाड़ी के बलराम सिंह 1971 में शिक्षक बने. 37 वर्षों तक नौकरी करने के बाद 2008 में केवटा मध्य विद्यालय से सेवानिवृत हुए. सेवानिवृत होने के बाद लोगों को खेती करने के प्रति जागरूक कर रहे हैं. धार्मिक कार्यों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं. गांव में उत्पन्न छोटे-छोटे विवादों को बैठक कर सलटाते हैं. लोगों को शिक्षा के प्रति भी जागरूक कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि शिक्षा जीवन का मूल आधार है. बच्चों को खेल के प्रति कर रहे हैं जागरूक- अर्जुन प्रसाद सिमरिया के अर्जुन प्रसाद 1973 में शिक्षक बने. 39 सालों तक नौकरी के बाद 2012 में कन्या मध्य विद्यालय सोहर से सेवानिवृत हुए. वे सेवानिवृत होने के बाद गरीबों को सहयोग कर रहे हैं. गांव के कोई गरीब उनके पास समस्या लेकर आता है, तो उसका समाधान करते हैं. आर्थिक सहयोग भी करते है. बच्चों को खेल के प्रति जागरूक कर रहे हैं. शिक्षा से जुड़ने को लेकर भी जागरूक कर रहे हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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