मो काशिफ इकबाल हंटरगंज. प्रखंड में पेयजल संकट गहराने लगा है. पानी के लिए हाहाकार मचा है. अप्रैल माह शुरू होते ही दर्जनों नदी, तालाब सूख गये. कई जगहों पर बोरिंग व डीप बोरिंग काम नहीं कर रही है. कई जगहों पर जलमीनार शोभा की वस्तु बन कर गयी है. हंटरगंज की लाइफ लाइन कही जाने वाली नीलाजन नदी पूरी तरह से सूख गयी है. जिसके कारण जोरी, घंघरी, गोढ़वाली, मदरसा, डूमरी, नावाडीह, कोबना, केदली, शोहाद, नागर, गोसाईडीह समेत कई गांवों में पेयजल संकट उत्पन्न हो गया. यह स्थिति नदी से लगातार बालू का उठाव होने के कारण बनी है. पहले नदी से बालू का उठाव नहीं होता था, तब क्षेत्र में 20 से 30 फीट में ही पानी निकल जाता था. लेकिन अब 150 से 200 फीट बोरिंग कराने के बाद भी पानी नसीब नहीं हो रहा हैं. क्षेत्र का जलस्तर नीचे चले जाने के कारण बोरिंग जवाब देने लगा है. घरों का बोरिंग सूख जाने से लोग पानी के लिए इधर उधर भटक रहे हैं. आसपास के घरों से पानी लाने को मजबूर हैं. पंचायतों में लगी जलमीनार से पानी नहीं मिल रहा है. आम लोगों के साथ मवेशी व पशु-पक्षियों को भी जल संकट से जूझना पड़ रहा है. कुरैशी मुहल्ला, दर्जी मुहल्ला के लोग कपड़ा धोने, नहाने के लिए नदी के पानी का इस्तेमाल करते थे. नदी सूखने से उनके समक्ष समस्या उत्पन्न हो गयी है. चुआं खोदने के बाद भी पानी नहीं निकल रहा है. जल स्तर नीचे जाने से हो रही है परेशानी: ग्रामीण नावाडीह गांव के मो अंसार ने कहा कि गांव में बोरिंग सूख गयी है. पेयजल के लिए परेशानी हो रही है. खूंटी केवाल खुर्द के मनोज गुप्ता ने कहा कि नदी का पानी सूख जाने से जलस्तर काफी नीचे चल गया है. बोरिंग जवाब दे दिया है. इधर उधर से पानी लाकर काम चला रहे हैं. केदली के पप्पू मिस्त्री ने कहा कि नदी सूखने से आसपास का जलस्तर काफी नीचे चला गया है. सुबह उठते ही पानी की चिंता सताने लगती है. बाजार के अमन कुमार ने कहा कि नदियों से लगातार बालू का उठाव होने से क्षेत्र में पानी की समस्या उत्पन्न हुई है. सरकार व जिला प्रशासन को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है.
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सूख गयी हंटरगंज की लाइफ लाइन नीलांजन नदी
सूख गयी हंटरगंज की लाइफ लाइन नीलांजन नदी
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