महोत्सव . बौद्ध धर्म झारखंड व इटखोरी की प्रासंगिता पर संगोष्ठी, सांसद ने कहा
इटखोरी : राजकीय इटखोरी महोत्सव में दूसरे दिन मां भद्रकाली मंदिर परिसर में जिला प्रशासन द्वारा ‘बौध धर्म झारखंड व इटखोरी की प्रासंगिता’ पर संगोष्ठी की गयी. इसका उदघाटन उपायुक्त संदीप सिंह, नालंदा विवि के प्रो डॉ विश्वजीत कुमार, पुरातत्व विभाग के उपाधीक्षक हरिओम शरण, नालंदा विवि के एसोसिएट के प्रो रुबी के अलावा कई लोग ने संयुक्त रूप से किया. मौके पर बौद्धिष्ठों ने पंचशील वंदना गया. बौद्धिष्ठों को गुलाब का फूल दिया गया.
संगोष्ठी में सांसद सुनील कुमार सिंह ने कहा कि यहां का इतिहास, धरोहर, संस्कृति व परंपरा को सहेज कर रखना जनता का काम है. इससे पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरण होता जाता है. यह जन मानस में विद्मान है. उसे इक्कट्ठा कर विकसित में सभी का सहयोग अनिवार्य है. कहा कि एकता में ही विविधता स्थापित है. भद्रकाली का प्राचीन नाम भदुली है, जो आज समाप्त नहीं हुआ है. कहा कि विभावि ने यहां शोध संख्या के लिए प्रस्ताव पारित कर चुका है. इटखोरी महोत्सव एक अवसर है. इसके माध्यम से साहित्य व पौराणिक दृष्टि को उजागर करना है.
पर्यटन स्थल विकसित होगा, तो लोग विकसित होंगे: जयप्रकाश
विधायक जय प्रकाश वर्मा ने कहा कि झारखंड राज्य की यह धरती इटखोरी में तीन धर्मों का संगम है. यहां के इतिहास देखने से प्रतीत होता. इस स्थल के विकास के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है. यह पर्यटन स्थल विकसित होगा, तो यहां के लोगों को रोजगार मिलेगा.
इटखोरी व कौलेश्वरी तीन धर्मों का संगम स्थल: डीसी
उपायुक्त संदीप सिंह ने कहा कि इटखाेरी महोत्सव के माध्यम से यहां के पौराणिक धरोहरों को विकिसत किया जा रहा है. इटखोरी व कौलेश्वरी दोनों स्थल पर तीन धर्मों का संगम है. इटखोरी को बौद्ध सर्किट से जोड़ने की दिशा में पहल हो चुकी है. कौलेश्वरी पर्वत पर विदेशी पर्यटक आते हैं. इसे विकसित करने की दिशा में बेहतर पहल हो रही है. उक्त दोनों स्थल पर विराजमान प्राचीन अवशेष का प्रचार प्रसार देश दुनिया में हो रहा है.
बौद्ध भारतवर्ष का धर्म है, इसे बचायें: डॉ विश्वजीत कुमार
नालंदा विवि के प्रो डॉ विश्वजीत कुमार ने कहा कि पहले लोग पशुओं का भोजन किया करते थे. आज समय में काफी बदलाव आया है. भगवान पंचशील का धारण कर ही सही जीवन जीने की कला है. बौद्ध धर्म भारतीयों का है, इसे बचाये रखें. कहा कि बुध भगवान बौद्ध गया से इटखोरी आकर ज्ञान की प्राप्ति की थी. झारखंड बौद्ध धर्म का परंपरागत केंद्र है. उन्होंने बौद्ध धर्म के प्राचीन प्रतिमाएं व अवशेष को संरक्षित करने की बात कही है.
खुदाई में मिली प्राचीन प्रतिमाएं अद्भुत : हरिओम शरण
पुरातत्व विभाग के उपाधीक्षक हरिओम शरण ने कहा कि यह स्थल शक्ति पीठ के समान माना जाता है. यहां तीनों धर्मों का संगम स्थल है. यहां खुदाई में मिली प्राचीन प्रतिमाएं अद्भुत है. इस स्थल को विकसित करने से यहां के लोग विकसित होंगे.
प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण है यह स्थल: प्रो रुबी
नालांदा विवि के एसोसिएट प्रो रूबी कुमारी ने कहा कि यह स्थल प्रकृतिक संपदा से परिपूर्ण है. यहां पर तीन धर्मों का प्राचीन प्रतिमाएं व अवशेष खुदाई के दौरान मिले है. यहां पर्यटक आयेंगे, तो क्षेत्र का विकास और तीव्र गति से होगा.
खुदाई की रिपोर्ट उजागर करें पुरातत्व विभाग : भंते
तिस्सावरो भंते ने कहा कि वर्ष 2011-12 में हुई खुदाई का रिपोर्ट उजागर कराने की बात डीसी व सांसद से की. उन्होंने कहा कि जब तक खुदाई रिपोर्ट उजागर नहीं होगी, यहां विकास असंभव है. मौके पर कुमार यशवंत नारायण सिंह दुलार हजाम आदि मौजूद थे.