चाईबासा.चाईबासा के व्यवहार न्यायालय परिसर में डीएलएसए की ओर से रविवार को जिलास्तरीय मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल पर कार्यशाला आयोजित हुई. इसमें मोटर दुर्घटना में पीड़ित परिवार को ससमय व उचित मुआवजा दिलाने की प्रक्रिया के प्रावधान और सरलीकरण पर चर्चा हुई. मुख्य अतिथि पीडीजे-1 सूर्य भूषण ओझा थे. मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी विनोद कुमार ने पुलिस अधिकारियों को एमएसीटी के अंतर्गत विभिन्न प्रक्रियाओं की जानकारी दी. कार्यशाला के तकनीकी सत्र में मुख्य प्रशिक्षक के तौर पर प्राधिकार के सचिव राजीव कुमार सिंह ने मोटर दुर्घटना कानूनों में हुए बदलाव का उल्लेख करते हुए कहा कि सड़क दुर्घटना में ससमय पुलिस को दुर्घटना से संबंधित कागजात न्यायालय में प्रस्तुत करना है. ऐसा नहीं होने पर कोर्ट को सूचित करना आवश्यक है. यह सभी थाना प्रभारी और पुलिस पदाधिकारी का कर्तव्य और कानूनी प्रतिबद्धता है कि दुर्घटनाग्रस्त वाहनों के कागजात की डीटीओ से जांच करायें. पुलिस पदाधिकारी दुर्घटना के बाद इंश्योरेंस कंपनी को जानकारी दें और इंश्योरेंस कंपनी को ससमय रिपोर्ट सौंपनी और वैध स्वीकृति देना आवश्यक कार्य है.
मुआवजा दिलाना पुलिस का कर्तव्य : एसडीपीओ
एसडीपीओ बहमन टूटी ने मुआवजा दिलाने में पुलिस पदाधिकारियों को महती भूमिका और कर्तव्यों को बताया. उन्होंने कहा कि चाईबासा जिला में मोटर दुर्घटना में कमी लाना है. आम जनता मोटर एक्सीडेंट में घायल किसी व्यक्ति को गोल्डन आवर में इलाज के लिए पहुंचाता है, तो ऐसे व्यक्ति को सरकार की ओर से पुरस्कार राशि और प्रशस्ति पत्र मिलता है. अगर कोई अज्ञात वाहन से दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो जाता है, तो उसे मुआवजा देने का प्रावधान है.
ये थे मौजूद
विकास दोदराजका, अगस्टिन कुल्लू, जीपी पवन शर्मा, राजेश एक्का, सुभाष मिश्र, अमर बक्शी, प्रशांत कुमार, राजाराम गुप्ता, संतोष गुप्ता, पूजा मधेशिया, सुरेंद्र प्रसाद, सुरेंद्र प्रसाद दास, रत्नेश कुमार आदि.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

