चक्रधरपुर. एनएच-75 ई अंतर्गत उलीडीह मोड़ से बोड़दा, चैनपुर होते हुए चारमोड़ तक लगभग 13.6 किलोमीटर लंबी सड़क चौड़ीकरण योजना के खिलाफ बोड़दा और आसपास के ग्रामीणों ने जन आंदोलन छेड़ने का निर्णय लिया है. ग्रामीणों का आरोप है कि सड़क निर्माण के नाम पर जमीन अधिग्रहण और पुश्तैनी घरों को तोड़े जाने की आशंका से क्षेत्र में आक्रोश व्याप्त है. इसको लेकर 25 और 27 दिसंबर को बोड़दा में ग्राम मुंडा बसंत महतो की अध्यक्षता में ग्रामसभा आयोजित हुई. सभा में युवा आंदोलनकारी अमित महतो विशेष रूप से मौजूद रहे. बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि ग्रामीण सड़क निर्माण के नाम पर जमीन का अधिग्रहण किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे, खासकर तब जब पुरखों द्वारा बनाये गये घरों को तोड़ने की बात हो.
पांचवीं अनुसूची में जमीन अधिग्रहण मान्य नहीं
ग्रामसभा को संबोधित करते हुए अमित महतो ने कहा कि ग्रामीणों की मांग पर ‘जमीन बचाओ जन आंदोलन’ चलाया जायेगा. उन्होंने कहा कि झारखंड के पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों में जमीन अधिग्रहण मान्य नहीं है और यहां ग्रामसभा सर्वोच्च है. पेसा कानून लागू होने के बाद क्षेत्र में लोकसभा या विधानसभा नहीं, बल्कि ग्रामसभा का निर्णय ही अंतिम होगा. सभा में महिला समितियों की सदस्यों ने एकजुट होकर कहा कि हमें जान देना मंजूर है, लेकिन अपने पुरखों के घर नहीं टूटने देंगे. महिलाओं के इस सशक्त विरोध से आंदोलन को नयी ऊर्जा मिली है. शनिवार को हुई ग्रामसभा में निर्णय लिया गया कि सड़क निर्माण के नाम पर किसी ग्रामीण का घर नहीं टूटने दिया जायेगा. करण महतो ने कहा कि यह आंदोलन अपने अंजाम तक जारी रहेगा. चैनपुर के मुखिया साहेब हेंब्रम ने ग्रामीणों को पूर्ण समर्थन देने की घोषणा की और आंदोलन को और मजबूत बनाने का आह्वान किया. इधर, चंद्री गांव में पूर्व मुखिया बाबूराम बारला की अध्यक्षता में दूसरी ग्रामसभा आयोजित की गयी. उन्होंने बताया कि अगली ग्रामसभा रविवार सुबह 8 बजे होगी. मौके पर मुकेश महतो, श्रीहरि महतो, जगदीश महतो, बाबूराम बारला, नंदकिशोर महतो, रमेश चंद्र महतो, महावीर पूर्ति आदि उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

