चाईबासा.चाईबासा के बस पड़ाव की स्थिति में सुधार की उम्मीद जगी है. नगर विकास विभाग ने नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी से शहर के दोनों बस पड़ावों के कायाकल्प का प्रस्ताव मांगा है. ऐसे में नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी ने बिना समय गंवाए प्रस्ताव भेज दिया है. यदि प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है, तो शहर के निजी और सरकारी बस पड़ावों की स्थिति में सुधार होगा. साथ ही यात्रियों की समस्याओं का भी समाधान होगा. भेजे गए प्रस्ताव में कहा गया है कि शहर के दो बस पड़ावों की करीब 3.2 एकड़ जमीन पर एक विस्तृत बस पड़ाव का निर्माण किया जा सकता है. इससे यात्रियों एवं बस चालकों की समस्याएं दूर होंगी. वर्तमान में शहर के सरकारी बस पड़ाव में न तो पेयजल की सुविधा है और न ही शौचालय की. वहीं, यात्री बसों के ठहराव की भी कोई उचित व्यवस्था नहीं है.
निजी बस पड़ाव की स्थिति
निजी बस पड़ाव में कहने को तो शौचालय, प्याऊ और यात्री शेड की व्यवस्था है. लेकिन यात्री शेड जर्जर हो चुकी है. छत की सीलिंग कई जगहों से टूटकर गिर रही है. जिससे कई लोग घायल हो चुके हैं. यात्रियों को गंदे शौचालय का उपयोग करने के लिए विवश होना पड़ता है. साथ ही इसके लिए शुल्क भी चुकाना पड़ता है, जिससे महिलाओं को अधिक परेशानी होती है. साथ ही यहां एक संस्था द्वारा बनाया गया प्याऊ भी जर्जर हो चुका है. पिछले एक साल से सूखा पड़ा है. ऐसे में यात्रियों और बस कर्मियों को पानी खरीदकर पीना पड़ता है. निजी बस पड़ाव में पार्किंग की समस्या भी गंभीर है. यह बस पड़ाव छोटा है, लेकिन यात्रियों की संख्या अधिक होने के कारण बसों को सड़क पर खड़ा करना पड़ता है, जिससे बार-बार जाम की स्थिति उत्पन्न होती है और आवागमन बाधित होता है.सरकारी बस पड़ाव की स्थिति
निजी बस पड़ाव के पिछले हिस्से में ही सरकारी बस पड़ाव है, जहां पार्किंग सहित अन्य यात्री सुविधाएं पूरी तरह नदारद हैं. बारिश के दौरान यात्रियों को सिर छिपाने के लिए कहीं जगह नहीं मिलती हे. बस पड़ाव जलजमाव का शिकार हो जाता है. प्रवेश करते ही यात्रियों को बदबूदार नाली, बिखरा हुआ कचरा और गंदगी का सामना करना पड़ता है. यहां से लोकल और दूर-दराज की बसें खुलती हैं, लेकिन पेयजल और शौचालय की कोई सुविधा नहीं है. ऐसे में महिलाओं को खुले में शौच के लिए विवश होना पड़ता है.क्या कहते हैं लोग
सरकारी बस पड़ाव पर साफ-सफाई नहीं होती। बारिश के दौरान जलजमाव के कारण यह कीचड़ में तब्दील हो जाता है। यात्री शेड और शौचालय की भी कोई व्यवस्था नहीं है। यहां से 200 से ज्यादा छोटा हाथी गाड़ियां और करीब 150 यात्री बसें खुलती हैं.-विकास जामुदा
सरकारी बस पड़ाव के पास कोई दुकान या शेड नहीं है, जिससे लोग बारिश में भीगने से बच सकें. यहां कोई सुविधा नहीं है. साफ-सफाई भी नहीं होती है. बारिश होने पर बाढ़ जैसी स्थिति बन जाती है.-नकुल निषादनिजी बस पड़ाव की तरह सरकारी बस पड़ाव पर भी समस्याएं बनी हुई हैं. जलजमाव यात्रियों के लिए हमेशा परेशानी का सबब बनता है. यात्रियों को कड़ी धूप और बारिश का सामना करना पड़ता है. यहां किसी भी तरह की यात्री सुविधा नहीं है. -बी निषादसरकारी बस पड़ाव पर हमेशा कचरा पसरा रहता है. यहां साफ-सफाई का घोर अभाव है. यात्रियों के बैठने और सिर छिपाने के लिए शेड तक नहीं है. बारिश में कचरे के बीच जलजमाव के कारण यात्रियों को बदबू सहनी पड़ती है.
-टिंकू यादवक्या कहते हैं अधिकारी
शहर के सरकारी एवं निजी बस पड़ावों की स्थिति में सुधार किया जाएगा. दोनों बस पड़ावों को मिलाकर एक बड़ा बस पड़ाव बनाने का प्रस्ताव विभाग को भेजा गया है. उम्मीद है कि जल्द ही इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलेगी. -संतोषिनी मुर्मू, कार्यपालक पदाधिकारीडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है