मुसाबनी.
मुसाबनी बाजार में करीब आठ दशक पूर्व आइसीसी कंपनी की ओर से बनायी गयीं अधिकतर दुकानें वर्तमान में जर्जर हो गयी हैं. करीब 3 दशक से मुसाबनी बाजार के रखरखाव की कारगर व्यवस्था नहीं हो रही है. अधिकतर दुकानें मरम्मत के अभाव में जर्जर हो गयी हैं. बारिश होने पर दुकानों में पानी का रिसाव होता है. दुकानदारों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. दुकान में रखे सामान भीगकर बर्बाद हो रहे हैं. दुकानों की मरम्मत नहीं होने से कभी भी दुर्घटना हो सकती है.मरम्मत के लिए प्रशासन से गुहार लगा रहे दुकानदार
दुकानदार दुकानों की मरम्मत के लिए प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन पहल नहीं हो रही है. कई दुकानदार सामान को पानी से बचाने के लिए दुकानों के अंदर प्लास्टिक टांग कर किसी तरह काम चला रहे हैं. त्योहार का मौसम शुरू हो रहा है. ऐसे में मरम्मत नहीं होने से परेशानी है. दुकानदारों ने कहा कि यदि समय रहते प्रशासन ने समस्या का समाधान करने की पहल नहीं की, तो दुकानदारों के परिवारों के साथ दुकानों में काम कर परिवार चलाने वाले दर्जनों कर्मी के समक्ष रोजगार का संकट उत्पन्न हो जायेगा.
लोहे के एंगल में लगा जंग, लटक रहे एस्बेस्टस
ज्ञात हो कि वर्ष 1972 में आ0सीसी कंपनी के राष्ट्रीयकरण के बाद मुसाबनी में नागरिक सुविधाओं में बढ़ोतरी हुई. मुसाबनी बाजार में वर्ष 1982 में सुपरमार्केट का निर्माण किया गया था. सुपर मार्केट में कई दुकानें संचालित हो रही हैं. इन दुकानों में लोहे के एंगल के ऊपर एस्बेस्टस लगाये गये हैं. जंग लगने के कारण कई एंगल में टूट गये हैं. इससे एस्बेस्टस हवा में लटक रहे हैं. कभी भी दुर्घटना हो सकती है.खदानों में बंदी के बाद स्थिति हुई बदहाल
जानकारी हो कि वर्ष 1928 में आइसीसी कंपनी ने मुसाबनी के बानालोपा, बादिया समेत अन्य ताम्र खदानों को खोला. खदानों में काम करने वाले अधिकारियों व मजदूरों के लिए मुसाबनी में बाजार की सुविधा के लिए दुकान बनाकर बाहर से व्यवसायियों को लाकर बसाया. खदान बंदी के बाद मुसाबनी टाउनशिप से बड़ी संख्या में लोग पलायन कर गये. कई व्यवसायी भी चले गये. वर्तमान में कई यहां रहकर व्यवसाय कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं. खादानों की बंदी के बाद वर्ष 2005 में मुसाबनी टाउनशिप का अधिग्रहण झारखंड सरकार ने किया.
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