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Chaibasa News : चाईबासा बैंक में नहीं मिल रहा खून, आफत में मरीजों की जान, रोते हुए भटक रहे परिजन

संकट. चाईबासा ब्लड बैंक में सभी तरह की जांच प्रक्रिया बंद, मरीजों को एमजीएम भेजा जा रहा

चाईबासा. पश्चिमी सिंहभूम जिले के चाईबासा सदर अस्पताल स्थित ब्लड बैंक में खून की भारी कमी हो गयी है. बैंक में स्टॉक खत्म हो गया है. जरूरतमंद मरीजों को खून उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. गंभीर मरीजों की जान आफत में पड़ गयी है. मरीजों के परिजन खून के लिए दर-दर भटक रहे हैं. वे मरीज को बचाने के लिए रोते हुए गुहार लगाते फिर रहे हैं. परिजनों को एमजीएम अस्पताल जमशेदपुर जाकर ब्लड लाना पड़ रहा है. वहां भी जरूरत के हिसाब से खून उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. ज्ञात हो कि चाईबासा ब्लड बैंक से थैलेसीमिया पीड़ित चार बच्चों को एचआइवी संक्रमित खून चढ़ाने के बाद राज्य में हड़कंप मचा गया था. राज्य सरकार व हाइकोर्ट ने मामले को गंभीरता से लिया था. इसके बाद सरकार ने ब्लड बैंकों में रक्त जांच के लिए एलिसा टेस्ट अनिवार्य कर दिया है.

ब्लड बैंक में रक्त स्क्रीनिंग बंद जमशेदपुर से आने में दो-तीन लग रहे :

जानकारी के अनुसार, सदर अस्पताल में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों की एचआइवी संक्रमित ब्लड चढ़ाने का मामला आने के बाद सरकार ने रक्त स्क्रीनिंग प्रक्रिया बंद करने का सख्त आदेश दिया है. अब चाईबासा ब्लड बैंक में संग्रहित रक्त को जांच के लिए एमजीएम जमशेदपुर भेजा रहा है. जमशेदपुर से रिपोर्ट आने के बाद खून मरीजों को उपलब्ध कराया जा रहा है. इस प्रक्रिया में दो से तीन दिन का समय लग रहा है. इससे ब्लड बैंक में खून का स्टॉक लगातार घटता जा रहा है. ब्लड बैंक में किसी तरह की जांच प्रक्रिया पूर्णत: बंद हो गयी है. रविवार को ब्लड बैंक में ओ पॉजिटिव का एक और एबी पाॅजिटिव की 2 यूनिट थी. बाकी सभी ग्रुपों का ब्लड नहीं है.

बेटे को खून की जरूरत, तीन दिनों से भटक रहा पिता

ब्लड नहीं मिलने के कारण मरीजों के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. मरीज की जान बचाने के लिए ब्लड बैंक के बाहर मदद की गुहार लगा रहे हैं. रविवार को ब्लड बैंक के पास मंझारी के मरीज के परिजन बैठे थे. उन्होंने बताया कि बीते गुरुवार को बीमार बेटे को सदर अस्पताल चाईबासा में भर्ती कराया. चिकित्सकों ने बताया कि ब्लड कम हो गया है. ब्लड चढ़ाना जरूरी है. चिकित्सकों ने बताया कि ब्लड बैंक में ब्लड नहीं मिल रहा है. बेटे को जमशेदपुर ले जाने को कहा. वह गांव का रहनेवाला है. हिंदी बोलनी ठीक से नहीं आती है. वहीं, जमशेदपुर कभी गये नहीं है. अस्पताल खोजने में दिक्कत होगी. चाईबासा भी पहली बार आया है. तीन दिनों से खून के लिए ब्लड बैंक में भटक रहे हैं. अब तक कोई मदद नहीं मिली है.

संस्थाओं व रक्तदाताओं से अपील कर रहा प्रशासन

अस्पताल प्रशासन ने संकट काल में सामाजिक संस्था, रक्तदाता और आम जनता से रक्तदान करने की अपील की है. स्वास्थ्य विभाग ने सभी प्रखंडों में रक्तदान जागरुकता अभियान चलाने का निर्देश दिया है. अस्पताल प्रशासन का कहना है कि नियमित रक्तदान शिविरों के माध्यम से ब्लड बैंक की स्थिति को सामान्य किया जा सकता है. लोगों को यह समझना होगा कि रक्तदान से किसी जान बच सकती है. इससे स्वास्थ्य पर कोई गलत प्रभाव नहीं पड़ता है.

सदर अस्पताल के स्टिकर को मान्यता नहीं

चाईबासा ब्लड बैंक के कर्मियों ने बताया कि अब सदर अस्पताल चाईबासा के स्टिकर को मान्यता नहीं है. एमजीएम जमशेदपुर ब्लड बैंक का स्टिकर चिपकाकर जमशेदपुर भेजा रहा है.

– पश्चिमी सिंहभूम जिले में थैलेसीमिया पीड़ितों की संख्या 59 हैं. उन्हें को हर 15-20 दिनों में ब्लड की जरूरत होती है. थैलेसीमिया पीड़ितों के लिए ब्लड की व्यवस्था के लिए सामाजिक संस्था, कॉलेज व अन्य रक्तदाताओं से संपर्क किया जा रहा है.

– डॉ शिवचरण हांसदा

, उपाधीक्षक, सदर अस्पताल

जमशेदपुर ब्लड बैंक के सहारे सरायकेला के 16 थैलेसीमिया मरीज, नहीं हैं कंपोनेंट

सरायकेला. पश्चिमी सिंहभूम के चाईबासा में थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को एचआइवी संक्रमित रक्त चढ़ाने की घटना के बाद सरायकेला-खरसावां में स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह सचेत हो गया है. इस मामले में विभाग ने सभी ब्लड बैंकों में बिना एलिसा जांच के खून उपलब्ध कराने पर रोक लगा दी है. जिससे सरायकेला ब्लड बैंक से रक्त की आपूर्ति प्रभावित हुई है. खासकर थैलेसीमिया से पीड़ित मरीजों को इससे खून उपलब्ध कराने में परेशानी हो रही है. सरायकेला ब्लड बैंक से रक्त लेने वाले थैलेसीमिया के 16 मरीज हैं, जो निरंतर ब्लड बैंक से खून लेते हैं. ब्लड बैंक से खून उपलब्ध कराने पर रोक लगने के बाद से सभी मरीजों को काफी परेशानी हो रही है. पीड़ित मरीजों को जमशेदपुर के ब्लड बैंक से ब्लड लेना पड़ रहा है.

स्टैंडर्ड फिक्स नहीं होने से नहीं हो रहा एलिसा जांच

सदर अस्पताल सरायकेला के अस्पताल उपाधीक्षक डॉ. नकुल प्रसाद चौधरी के अनुसार, एलिसा मशीन पहले से मौजूद है. पहले इसका उपयोग केवल एचआइवी जांच के लिए किया जा रहा था. अब विभाग ने सभी प्रमुख जांच (जैसे हेपेटाइटिस बी, सी आदि) एलिसा विधि से करने के लिए कीट उपलब्ध करा दिये हैं. हालांकि, मशीन में अभी तक जांच का स्टैंडर्ड फिक्स नहीं किया गया है, जिसके अभाव में एलिसा जांच शुरू नहीं हो पायी है. इस वजह से ब्लड बैंक में मौजूद लगभग 40 यूनिट रक्त का एलिसा परीक्षण अभी लंबित है. डॉ. चौधरी ने कहा कि सोमवार को तकनीशियन द्वारा स्टैंडर्ड फिक्स किया जायेगा, जिसके बाद सभी टेस्ट विधिवत तरीके से शुरू हो जायेंगे. एलिसा टेस्ट के बाद रक्त का नमूना नेट पीसीआर जांच के लिए रांची रिम्स भेजा जायेगा. लेकिन इस संबंध में अभी तक सरकार की ओर से कोई आधिकारिक निर्देश जारी नहीं किया गया है. जैसे ही निर्देश प्राप्त होंगे, नमूने भेजने की प्रक्रिया आरंभ की जायेगी.

ब्लड बैंक में नहीं है कंपोनेंट की सुविधा:

डॉ. चौधरी के अनुसार, थैलेसीमिया मरीजों को पैक्ड आरबीसी चढ़ाया जाना चाहिए, जो रक्त के केवल लाल रक्त कोशिकाओं का हिस्सा होता है. इसका कारण यह है कि पूरे रक्त(होल ब्लड) में अतिरिक्त तत्व होते हैं जो मरीजों के लिए हानिकारक हो सकते हैं. पेचिदा रोगों जैसे थैलेसीमिया में रक्त से केवल जरूरी घटक जैसे पीआरबीसी, प्लाज्मा, और प्लेटलेट्स को अलग करना आवश्यक होता है. सरायकेला के ब्लड बैंक में कंपोनेंट्स को अलग करने की सुविधा उपलब्ध नहीं है, इसलिए मरीजों को केवल हॉल ब्लड दिया जाता है. प्लाज्मा और प्लेटलेट्स के लिए, मरीजों को पड़ोसी जिलों के ब्लड बैंकों का सहारा लेना पड़ता है.

– एलिसा जांच को लेकर विभाग द्वारा कीट उपलब्ध करायी गयी है. लेकिन जांच का स्टैंडर्ड फिक्स नहीं हो पाया है, जिससे अभी एलिसा जांच नहीं की जा रही है. बहुत जल्द तकनीशियन द्वारा मशीन में स्टेंडर्ड फिक्स किया जायेगा, जिसके बाद एलिसा जांच शुरू होगी.

– डॉ नकुल प्रसाद चौधरी

,अस्पताल उपाधीक्षक, सदर अस्पताल सरायकेला

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