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Chaibasa News : बंजर जमीन में कोहड़ा की खेती कर लिंकू ने बदली किस्मत

मैट्रिक फेल होने के बाद भी नहीं टूटा हौसला, खेती कर लाखों कमा रहा रंगामाटी का लिंकू नायक

जैंतगढ़. चंपुआ प्रखंड की रंगमटिया पंचायत अंतर्गत रंगामाटी गांव का युवा किसान लिंकू नायक आज इलाके में मिसाल बन चुका है. मैट्रिक की परीक्षा में असफल होने के बाद जहां अधिकतर युवा निराश हो जाते हैं, वहीं लिंकू ने खेती-किसानी को अपनी जीविका का माध्यम बनाकर साबित कर दिया कि दृढ़ इच्छाशक्ति और मेहनत से बंजर भूमि भी सोना उगल सकती है. लिंकू नायक रंगमटिया गांव निवासी नंदी नायक का सबसे छोटा पुत्र है. चार भाइयों में सबसे छोटे लिंकू की पारिवारिक आर्थिक स्थिति साधारण थी. बाकी तीनों भाई पारंपरिक धान की खेती कर अपना जीवन यापन करते हैं. परिवार के पास खेती योग्य भूमि तो थी, पर उसकी देखरेख और उपयोग की कमी के कारण अधिक लाभ नहीं हो पाता था.

मैट्रिक फेल होते ही लिया जीवन बदलने का निर्णय:

मैट्रिक परीक्षा में फेल होने के बाद लिंकू ने हिम्मत नहीं हारी. उसने दूसरे किसानों के खेतों और बगीचों में काम करते हुए खेती के गुर सीखे. ओडिशा के ठाकुरमुंडा में एक किसान के यहां काम करते हुए लिंकू को आधुनिक खेती तकनीकों की जानकारी मिली. यही अनुभव उसके जीवन का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ.

दोस्तों से कर्ज लेकर शुरू की खेती:

खेती शुरू करने के लिए पूंजी की जरूरत थी. लिंकू ने अपने दोस्तों से कर्ज लेकर शुरुआत की. पहले वर्ष दो एकड़ जमीन पर कोहड़ा (कद्दू) की खेती की और मेहनत के दम पर अच्छी कमाई की. दोस्तों का कर्ज चुकाने के साथ लिंकू के पास अच्छी बचत भी हो गयी. यही सफलता उसे आगे बढ़ने की प्रेरणा देती रही.

बाजार की कमी, लेकिन हार नहीं मानी:

उत्पाद अधिक था, लेकिन बाजार उपलब्ध नहीं था. तब लिंकू ने झारखंड और ओडिशा के अलग-अलग क्षेत्रों में अपने उत्पाद को भेजना शुरू किया. पिछले वर्ष उसने लगभग ढाई लाख रुपये की बचत की और आसपास के गांवों में अपनी अलग पहचान बनायी.

इस वर्ष 15 एकड़ में कोहड़ा की खेती, 6 लाख का निवेश:

पिछले वर्ष की कमाई से उत्साहित लिंकू ने इस वर्ष बड़ा जोखिम उठाया. उसने लगभग छह लाख रुपये का निवेश कर गांव की 15 एकड़ भूमि में कोहड़ा की खेती शुरू की. प्रतिकूल मौसम के बावजूद उसकी फसल अच्छी होने की उम्मीद है. लिंकू ने कहा कि इसमें करीब 10 से 15 लाख रुपये की कमाई होगी. लिंकू का कहना है कि भविष्य में वह 10-15 लोगों को दिहाड़ी मजदूरी पर रोजगार देने और खेती को और बड़े स्तर पर करने की योजना है. वह गांव के अन्य किसानों को भी स्वावलंबी बनाना चाहता है.

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