चक्रधरपुर. चक्रधरपुर के पोड़ाहाट स्टेडियम में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन ओडिशा से पधारे कथा वाचक महाराज जीतू दास ने श्रीराम चरित्र, विश्व चिंतन व विदुर चरित्र प्रसंग पर विस्तार से चर्चा की. कथा वाचक महाराज जीतू दास ने भागवत कथा के माध्यम से भगवान श्रीराम के चरित्र का चित्रण कर पुरुषोत्तम होने का मर्म बताया. इसके साथ समाज को भगवान श्रीराम के आदर्शों से प्रेरणा लेने, भगवान श्री राम के आदर्शों को समझने व उनके आदर्शों को जीवन में उतारने के लिए प्रेरित किया. उन्होनें कहा कि भागवत कथा में विश्व कल्याण शांति और सार्वभौमिक भाईचारे के सिद्धांत हैं. यह केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि एक जीवन शैली है. जब हम दूसरों के कल्याण के लिए जीना सीख जाते हैं, तो हमारे अपने जीवन की चिंता स्वयं महादेव करते हैं. भागवत कथा सभी जीवों में परमात्मा का अंश देखती है. यह सिखाती है कि हर प्राणी के प्रति दया और प्रेम का भाव रखना चाहिये, ताकि विश्व में शांति और भाईचारे का माहौल बना रहे. भागवत कथा के श्रवण से मन का शुद्धिकरण होता है. भागवत कथा वैश्विक चेतना और शांति स्थापित करने का सर्वोत्तम मार्ग है. भागवत के अनुसार जब श्रीकृष्ण हस्तिनापुर में शांतिदूत बनकर गये, तो वे पांडवों से मिलने से पहले विदुरजी के घर गये थे. विदुरजी और उनकी पत्नी पारसंवी ने उनका भव्य स्वागत किया था. भागवत में यह प्रसंग भी आता है कि भगवान ने दुर्योधन के छप्पन भोग को त्यागकर विदुरजी के यहां केले के छिलके खाये थे, यह विदुरजी की अपार भक्ति का प्रतीक है. श्रीमद् भागवत कथा के दौरान विदुर प्रसंग में उनके जीवन, भक्ति और मैत्रेय मुनि के साथ उनके संवाद को विस्तार से दर्शाया गया है. इसमें सृष्टि और धर्म के गूढ़ रहस्यों को समझाया गया है.
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