चाईबासा. कोल्हान विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग के तत्वावधान में मंगलवार को संस्कृत सप्ताह कार्यक्रम में संस्कृत सूक्ति लेखन प्रतियोगिता हुई. संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ सुनील मुर्मू ने कहा कि संस्कृत की सूक्तियों में भारतीय ज्ञान परंपरा की आत्मा बसती है. यही कारण है कि अधिकतर संस्थानों की आदर्श पंक्तियां संस्कृत में लिखी होती हैं. इन पंक्तियों के भावों को जीवन में उतारने की आवश्यकता है. इस अवसर पर डॉ नरेश कुमार ने विद्यार्थियों को सूक्तियों को कंठस्थ कर जीवन में उतारने को कहा. बत्या गया कि सूक्तियां हमें सदैव प्रोत्साहित करती हैं.
सूक्ति लेखन में प्रतिभा मंजरी प्रथम व प्रथमी मुंडा को द्वितीय स्थान
सूक्ति लेखन प्रतियोगिता में विद्यार्थियों को संस्कृत साहित्य के प्रमुख संस्कृत सूक्तियों को सुंदर-सुसज्जित तरीके से लिखकर निर्णायक मंडली के समक्ष प्रस्तुत किया. वहीं, सूक्ति के संदर्भ, भावार्थ व महत्त्व को साहित्यिक भाषा में प्रस्तुत किया गया. इसमें स्नातकोत्तर तृतीय सेमेस्टर की प्रतिभा मंजरी साहू को प्रथम स्थान, प्रथमी सिंह मुंडा को द्वितीय स्थान व जीतमोनी महतो व रूपा सिंह मुंडा को संयुक्त रूप से तृतीय स्थान प्राप्त हुआ. निर्णायक मंडली में अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ नरेश कुमार, दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ संजय कुमार व शिक्षा शास्त्र विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ मनोज कुमार उपस्थित थे. निर्णायकों ने विद्यार्थियों के सूक्ति लेखन की आकषर्कता, प्रभावकारिता, शुद्धता व मौखिक प्रस्तुतीकरण के कसौटी के आधार पर श्रेष्ठ सूक्तियों का चयन किया.ज्ञान की भूख से श्रेष्ठ बनता है विद्यार्थी
दर्शनशास्त्र के डाॅ संजय कुमार ने कहा कि ज्ञान की भूख से ही विद्यार्थी श्रेष्ठ बनता है. जो विद्यार्थी जीवन में ज्ञान के प्रति जितना असंतुष्ट रहता है, वह उतना ही अध्ययन के प्रति अग्रसर होता है. कार्यक्रम की संयोजिका प्रोफेसर दानगी सोरेन ने विद्यार्थियों को नैतिक सामाजिक व उनके मनोगत संस्कार का विकसित करने को कहा. कार्यक्रम में शिक्षण सहायिका लीलावती कुमार एवं सरस्वती महतो ने सक्रिय योगदान किया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

