हाटगम्हरिया. हल्की बारिश व मौसम का मिजाज बदलते ही हाटगम्हरिया के किसानों ने खेतों की ओर रुख कर लिया है. खेतों की जुताई शुरू हो गयी है. क्षेत्र के अधिकतर किसान छींटा विधि से धान की खेती करते हैं. खेतों में धान छींटने से पूर्व किसान सबसे पहले खेतों की जुताई करते हैं. इसके बाद खेतों में धान के बीज छींटे जाते हैं. कुछ दिनों बाद बीज से पौधे निकलने लगते हैं. इसके बाद बारिश शुरू होते ही पूरी तरह से खेती में जुट जाते हैं. फिलहाल चक्रवाती तूफान की वजह से बारिश की संभावना को लेकर क्षेत्र किसानों के चेहरे खिल उठे हैं. उल्लेखनीय है कि सिंचाई की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण जिले में लगभग एक लाख 86 हेक्टेयर भूमि में छींटा विधि से खेती की जाती है.
…क्या कहते हैं किसान…
हल्की बारिश के बाद जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिये गोबर छींटकर जुताई की जाती है. इससे धूप में तप कर खरपतवार व अनावश्यक कीड़े नष्ट हो जाते हैं, क्योंकि बारिश पर निर्भर रहना पड़ता है. – चंद्र मोहन सिंकु, कृषक, मोंगरापिछले वर्ष बारिश सही समय पर नहीं होने के कारण किसानों को धोखा हो गया. मौसमी बारिश से बचने के लिए हम सतर्कता से खेती करना चाहते हैं. हल्की बारिश का लाभ उठाते हुए जुताई शुरू कर दी है. – दिवाकर कुम्हार, किसान, कोचड़ा
अधिकतर किसान छींटा विधि से खेती करते हैं. मैं लगभग पांच एकड़ भूमि में श्री विधि से पिछले सात वर्षों से खेती कर रहा हूं. इसमें छींटा विधि से अधिक पैदावार होती है. इस बार बेहतर खेती की उम्मीद है. – बिनोद बेहरा, किसानडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है