चाईबासा. चाईबासा के संत जेवियर वेलफेयर सेंटर की ओर से मंगलवार को संत मदर टेरेसा की जयंती मनायी गयी. सदर अस्पताल परिसर स्थित संत मदर टेरेसा की प्रतिमा पर मुख्य अतिथि सिविल सर्जन डॉ सुशांतो कुमार मांझी व विशिष्ट अतिथि जगन्नाथपुर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी रफायल मुर्मू ने मदर टेरेसा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर नमन किया. इसके बाद लोगों ने बारी-बारी से माल्यार्पण व पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. सीएस डॉ. मांझी ने कहा कि संत मदर टेरेसा का जन्म वर्ष 1910 में अल्बानिया में हुआ था. उन्होंने 18 वर्ष की आयु में लोरेटो कॉन्वेंट से जुड़कर बच्चियों को शिक्षा देने का कार्य प्रारंभ किया. इसके पश्चात वे कोलकाता आकर मानव सेवा के कार्यों में सक्रिय हो गयीं. उन्होंने अपाहिजों, वृद्धों तथा जरूरतमंदों की निःस्वार्थ सेवा की. डॉ मांझी ने बताया कि मानव सेवा में उनके अतुलनीय योगदान के लिए उन्हें वर्ष 1979 में शांति का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया. बाद में भारत सरकार ने उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया. उनकी सेवाओं को कभी भुलाया नहीं जा सकता. उनके कार्य आज भी हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत हैं.
ममता की मूरत थीं मदर टेरेसा : एसडीपीओ
विशिष्ट अतिथि एसडीपीओ श्री मुर्मू ने कहा कि मदर टेरेसा ममता की मूरत थीं. वे नि:स्वार्थ भाव से वृद्धों और असहायों की सेवा करती थीं, जो समाज के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण है. कार्यक्रम का संचालन जिला बार एसोसिएशन के महासचिव फादर अगस्टीन कुल्लू ने किया. इस अवसर पर अतिथियों का सम्मान किया गया तथा अस्पताल में भर्ती मरीजों के बीच फल और खाद्य सामग्री का वितरण किया गया. इस मौके पर जिला एसीएमओ डॉ भारती मिंज, अस्पताल प्रबंधक आशीष कुमार, डीडीएम दीपक कुमार, रोमन चर्च के पल्ली पुरोहित फादर निकोलस केरकेट्टा, संत जेवियर बालक उच्च विद्यालय के प्रधानाध्यापक फादर यूजीन इक्का, जमशेदपुर आये फादर सलदाना, चर्च के अध्यक्ष आशीष बिरुवा, किशोर तमसोय, राकेश तिग्गा, जेवियर देवगम, रॉबर्ट सवैंया, सिस्टर सिल्वी, मदर टेरेसा आश्रम की सिस्टर के अलावा काफी संख्या में सदर अस्पताल की स्वास्थ्यकर्मी आदि मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

