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Chaibasa News : पश्चिमी सिंहभूम में लगातार हाथियों की मौत से वन विभाग की कार्यशैली पर सवाल

चिंता. हाथियों की सुरक्षा व जान-माल की हानि को रोकने में विभाग विफल साबित हो रहा

चाईबासा. कोल्हान का पश्चिमी सिंहभूम जिला इन दिनों हाथियों के लिए कब्रगाह बन गया है. बीते एक सप्ताह में तीन हाथियों की जान चली गयी है. इससे वन विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो गये हैं. वन अधिकारियों और कर्मचारियों की मौजूदगी के बावजूद बार-बार हो रही घटनाएं दर्शाती हैं कि एयरकंडिशनर रूम में बैठकर बनायी गयी योजनाएं जमीनी स्तर पर निष्क्रिय साबित हो रही हैं. दरअसल, जिले के सारंडा जंगल में जमीन के नीचे नक्सलियों की बिछायी बारूद से दो हाथियों की जान गयी है. वहीं, दो और हाथी के घायल होने की बात आ रही है. बीते शनिवार को छह साल की उम्र के हाथी की मौत हो गयी. वह जंगल में घूमते हुए आइइडी विस्फोट की चपेट में आकर बुरी तरह जख्मी हो गया था. वन विभाग की टीम ने हाथी को ट्रैंकुलाइज करने के बाद जराइकेला लाया था. इलाज के बावजूद उसने दम तोड़ दिया. दो दिन बाद एक और हाथी जख्मी हालत में मिला, जिसका इलाज चल रहा था. गुरुवार को उसने दम तोड़ दिया. चाईबासा वन प्रमंडल के टोंटो में बुधवार रात 45 वर्षीय दंतैल हाथी की मौत हो गयी. क्षेत्र में करीब दर्जन भर हाथियों का झुंड करीब एक माह से विचरण कर रहा था. लोगों अनुमान लगा रहे हैं कि अत्यधिक कटहल खाने के कारण हाथी की मौत हुई है. आसपास कटहल के कई पेड हैं. फिलहाल वन विभाग हाथी के मौत के कारणों को पता लगाने के लिए माथा-पच्ची कर रहा है.

तीन साल में पांच हाथियों की मौत

चाईबासा वन प्रमंडल में पिछले तीन साल में हाथियों के चार बच्चों की मौत हो चुकी है. इस बार एक वयस्क हाथी की मौत हुई है. हाथियों के बच्चों की मौत भूमि संरक्षण विभाग की ओर से बनाये गये डोभा में डूबने के कारण हुई थी. फिलहाल, हाथियों के पांचवें मौत ने केवल वन विभाग के लिए परेशानी बढ़ा दी है.

दो वर्षों में में 5 जवान और 14 लोगों की मौत

ज्ञात हो कि पश्चिमी सिंहभूम का सारंडा वन क्षेत्र घोर नक्सल प्रभावित है. वहां नक्सलियों ने सुरक्षा बलों को नुकसान पहुंचाने के इरादे से कदम-कदम पर आइइडी बिछा रखा है. विगत दो वर्षों में इस इलाके में आइइडी विस्फोट में सुरक्षा बलों और पुलिस के पांच जवानों के साथ 14 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं, दर्जनों ग्रामीण घायल हुए हैं.

कोल्हान में 7 साल में 15 हाथियों की गयी जान

पश्चिमी सिंहभूम

– 29 सितंबर 2017: गिधनी रेलवे स्टेशन पर 1 हाथी की मौत

– 16 अप्रैल 2018: धुतरा और बागडीह रेलवे स्टेशनों के बीच 1 हाथी की मौत

– 14 सितंबर 2017: बंडामुंडा और किरीबुरू सेक्शन में 1 हाथी की मौत

– 4 फरवरी 2021: जराईकेला और भालूलता रेलवे स्टेशनों के बीच महीपानी में 2 हाथियों की मौत

– 19 मई 2022: बांसपानी जुरुली के बीच 1 हाथी की मौत

– पांच जुलाई, 2025 : जराइकेला में घायल हाथी की इलाज के दौरान मौत

– नौ जुलाई, 2025 : टोंटो के सेरेंगसिया में 45 वर्षीय हाथी की मौत

– 10 जुलाई : सारंडा में घायल हाथी ने इलाज के दौरान दम तोड़ा

पूर्वी सिंहभूम

– अगस्त 2018: चाकुलिया के कानीमहुली हॉल्ट और पश्चिम बंगाल के गिधनी स्टेशन के बीच 3 हाथियों की मौत

– 2020 : चाकुलिया के सुनसुनिया के पास 1 हाथी की मौत

– 21 नवंबर 2023 : मुसाबनी वन क्षेत्र के बेनाशोल में बिजली का करंट लगने से 5 हाथियों की मौत हुई थी.

सरायकेला-खरसावां

– 10 जून 2023: नीमडीह प्रखंड के गुंडा विहार में 1 दो माह के हाथी के बच्चे की मौत

– 9 मई 2024: कुकडू प्रखंड के लेटेमदा रेलवे स्टेशन के पास 1 हाथी की मौत

– 10 मार्च 2025 : हटिया-टाटा रूट पर ट्रेन से कटकर एक हाथी की मौत हो गयी है.

– जून 2025 : 20 दिनों में दो हाथियों की नीमडीह में मौत

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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