चक्रधरपुर. चक्रधरपुर के पोड़ाहाट स्टेडियम में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन महाराज जीतू दास ने भगवान की अंतिम लीला का वर्णन कर भक्तों के मन में वैराग्य और जीवन के अंतिम सत्य मोक्ष की ओर प्रेरित किया. महाराज जीतू दास ने भगवान श्रीकृष्ण के स्वर्गगमन स्वधाम गमन की चर्चा विस्तृत रूप से की. उन्होंने कहा कि भागवत कथा के एकादश स्कंध अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण की इस अंतिम लीला का वर्णन है. इसे सामान्य स्वर्ग यात्रा नहीं कही जाती, बल्कि इसे स्वधाम गमन या अंतर्धान लीला कहते हैं. भगवान श्रीकृष्ण स्वयं परम ब्रह्म हैं. वे अपने दिव्य धाम को वापस गये. भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी लीला समाप्त करने से पहले यदुवंशियों के बीच आपसी कलह व श्राप के कारण हुए संहार को देखा. बलराम जी पहले ही शेषनाग के रूप में अपने धाम लौट चुके थे. जब यदुवंश का नाश हो गया, तो भगवान श्रीकृष्ण ने प्रवास क्षेत्र के पास एक जंगल में पीपल वृक्ष के नीचे ध्यानमग्न होकर बैठ गये. उसी समय जरा नामक एक भील ने हिरण समझकर उनके पैर में बाण मार दिया. इस घटना के माध्यम से भगवान ने अपने नश्वर शरीर को त्याग किया.
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