चाईबासा.
पश्चिमी सिंहभूम जिले में आदिवासी जमीन पर बिना अनुमति के सड़क निर्माण मामले में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने कड़ा रुख अपनाया है. आयोग ने जिला प्रशासन से 15 दिनों के भीतर जवाब मांगा है. आयोग की ओर से 17 अक्तूबर, 2025 को जारी नोटिस में कहा गया कि कोल्हान के पश्चिमी सिंहभूम जैसे 99 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति बहुल जिले में यदि आदिवासियों की जमीन का उपयोग बिना अनुमति के किया जा रहा है, तो यह गंभीर मामला है. नोटिस के अनुसार, चाईबासा-डांबिल सड़क निर्माण कार्य के लिS करीब 16 गांवों की कृषि व निजी भूमि का इस्तेमाल हो रहा है. इसे लेकर स्थानीय लोगों में आक्रोश और विस्थापन की स्थिति बनी हुई है. आयोग ने यह नोटिस झारखंड पुनरुत्थान अभियान के केंद्रीय महासचिव अमृत मांझी की याचिका पर संज्ञान लेते हुए जारी किया है. अमृत मांझी ने शिकायत की थी कि चाईबासा क्षेत्र में पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा सड़क निर्माण के नाम पर आदिवासियों की भूमि का अतिक्रमण किया जा रहा है. साथ ही प्रभावित परिवारों को उचित मुआवजा या पुनर्वास नहीं दिया गया है. आयोग ने पश्चिमी सिंहभूम उपायुक्त को नोटिस भेजकर सवाल पूछा है, कि इस पूरे मामले की वास्तविक स्थिति क्या है. बताया कि यदि निर्धारित 15 दिनों के भीतर उचित जवाब या जानकारी उपलब्ध नहीं करायी गयी तो आयोग संविधान के अनुच्छेद 338ए के तहत दीवानी न्यायालय की शक्तियों का प्रयोग कर सकता है. आयोग ने स्पष्ट किया कि वह किसी भी परिस्थिति में आदिवासियों के अधिकारों का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं करेगा और यदि मामले में लापरवाही पायी गयी तो, प्रशासन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

