चक्रधरपुर के पुरानी बस्ती स्थित ओड़िया समुदाय में पांच दिवसीय पवित्र विष्णु पंचुक व्रत श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है. व्रत के चौथे दिन, मंगलवार को महिलाएं संजय नदी के तट पर एकत्र होकर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना और आह्वान करती नजर आयीं.
ओड़िया समुदाय में कार्तिक माह का विशेष महत्व :
ओड़िया समुदाय में कार्तिक माह को सबसे पवित्र माह माना जाता है. इस माह की दशमी तिथि से लेकर पूर्णिमा तक महिलाएं ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर भगवान की आराधना करती हैं. पंचुक के दौरान वे अहले सुबह संजय नदी में स्नान कर भगवान राय-दामोदर की पूजा करने के बाद प्रसाद का वितरण करती हैं.तुलसी मंडपों को रंगोली से सजाकर राय-दामोदर की आराधना की :
व्रत के पांचों दिनों में महिलाएं ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप कर भगवान कृष्ण की पूजा करती हैं. साथ ही “हे नील माधवो, हे माधव, हे राय दामोदर” जैसे भक्ति गीतों से वातावरण गूंज उठा. नदी किनारे और घरों के तुलसी मंडपों को रंग-बिरंगी रंगोली से सजाकर महिलाओं ने भगवान राय-दामोदर की आराधना की.
जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की रंगोली से सजा तुलसी मंडप :
महिलाओं ने प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की रंगोली बनाकर भी पूजा-अर्चना की. व्रत के दौरान महिलाएं दिन में केवल एक बार सात्विक भोजन ग्रहण करती हैं. विशेष विधि-विधान से तैयार इस भोजन को ‘हबिसान्न’ कहा जाता है.
केला के छिलके से बनी नावों को नदी में प्रवाहित करने की परंपरा :
उत्कल परंपरा के अनुसार, बोइत बंदणा के दिन लोग केला के पेड़ के छिलके से छोटी नावें बनाकर उन्हें नदी में प्रवाहित करते हैं. इन नावों को फूलों और दीपों से सजाया जाता है. यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है और आज भी उतनी ही श्रद्धा के साथ निभायी जा रही है. ओड़िया समुदाय के लोगों के लिए कार्तिक पूर्णिमा सबसे पवित्र दिन माना जाता है.कार्तिक पूर्णिमा पर विशेष स्नान और धार्मिक अनुष्ठान
पंचुक व्रत का समापन कार्तिक पूर्णिमा (बुधवार) को होगा. इस अवसर पर संजय नदी के सीढ़ी छठ घाट, थाना नदी मुक्तिधाम घाट, दंदासाई घाट, बालिया घाट सहित ग्रामीण क्षेत्रों के विभिन्न जलाशयों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने की संभावना है. सीढ़ी घाट को आकर्षक विद्युत सज्जा से दुल्हन की तरह सजाया गया है. इस अवसर पर कई धार्मिक अनुष्ठान भी संपन्न होंगे. ओड़िया समुदाय इस दिन को ‘बोइत बंदणा उत्सव’ के रूप में भी मनाता है.
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