बीजीएच के साथ सेल के अन्य यूनिटो में स्थित अस्पतालो के भी निजीकरण की प्रक्रिया शुरु किया गया है, जिसके कारण सभी यूनिटो में कर्मचारी व यूनियन आक्रोशित है. बीजीएच के आक्रोशित कर्मियों के साथ बीएकेएस के प्रतिनिधियों ने गुरुवार को बीजीएच कैंटीन में मीटिंग किया. कहा : एक तरफ केंद्र व अन्य राज्य सरकार अच्छे चिकित्सको को बहाल करने के लिए मुहमाँगा वेतन का टेंडर कर रही है, तो दूसरी तरफ सेल प्रबंधन अरबो की संपत्ति वाले अस्पतालों का निजीकरण कर रही है. इस खबर को सूनने के बाद बीएसएल कर्मी आक्रोशित है.
एक ही विभाग में आवश्यकता से अधिक चिकित्सकों की तैनाती सवालों के घेरे में
बीएकेएस ने सवाल उठाया : निजी अस्पतालो द्वारा दिया गया सेवा गुणवत्तायुक्त व कम खर्चिला कैसे होगा . जोखिम भरे इस्पात उत्पादन में दुर्घटना होने पर क्या गुणवत्ता युक्त तुरंत सेवा दिया जायेगा . इतने बड़े भवन/इंफ्रास्ट्रक्चर व प्रशिक्षित मैनपावर को बेहतर करने की जगह खराब क्यो किया जा रहा है . जाँच मशीनो की खरीद की जगह रेफर व्यवस्था को क्यो बढ़ावा दिया जा रहा है . राज्य सरकार के तर्ज पर विशेषज्ञों चिकित्सो को मुहमाँगे वेतन पर नियूक्त क्यो नही किया जा रहा है . वर्तमान प्रशिक्षित कर्मचारियों के भविष्य के साथ क्यो खिलवाड़ किया जा रहा है . एक ही विभाग में आवश्यकता से अधिक चिकित्सकों की तैनाती क्यों .
अच्छे चिकित्सकों को सेवा में बनाए रखने के लिए कार्यप्रणाली में सुधार नहीं होने पर उठायी आवज
बीएकेएस ने सवाल उठाया : आवश्यक सेवाओं में आने वाले मैनपावर जैसे तकनीशियन, नर्सिंग स्टाफ की गुणवत्ता/प्रशिक्षण जांचे बिना ही उन्हे कैसे नियोजन दिया जा रहा है. क्या कारण है कि स्पेशलिस्ट/सुपर स्पेशलिस्ट चिकित्सक बीजीएच क्यों छोड़ दे रहे है . अच्छे चिकित्सकों को सेवा में बनाए रखने के लिए कार्यप्रणाली में सुधार क्यो नहीं किया जा रहा है . यूनियन के अनुसार, अगर प्रबंधन के तथाकथित योग्य मैनेजर ऐसे प्रश्नो का उत्तर ढूंढ लेते तो संयंत्र के किसी भी विभाग/अनुभाग को निजीकरण/आउटसोर्शिंग की आवश्यकता ही नही होती, बल्कि गुणवत्तायुक्त अस्पताल का संचालन सरल हो जाता. बीजीएच के निजीकरण का पुरजोर विरोध होगा.कर्मचारी कंपनी के लिए लड़ने-मरने को तैयार
यह दुर्भाग्यपुर्ण है कि मैनपावर यूटिलाईजेशन व सटिस्फैक्शन की जगह निजीकरण को प्रबंधकीय गुण समझा जा रहा है. अगर सेल प्रबंधन के उच्च अधिकारी खुद को योग्य प्रबंधक समझते है तो वर्तमान प्रशिक्षित मैनपावर के दम पर ही बेहतर आउटपुट दे कर दिखाए. कर्मचारी कंपनी के लिए लड़ने-मरने को तैयार है. लेकिन, एसी कमरे में बैठ कर नीति बनाने वाले निजीकरण को प्रबंधकीय क्षमता बता रहे है. – हरिओम, अध्यक्ष – बीएकेएस बोकारोIडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

