फुसरो नगर/भंडारीदह, गोमो-बरकाकाना रेल मार्ग में वर्ष 1948 में बने भंडारीदह स्टेशन में यात्री सुविधाओं का घोर अभाव है. प्लेटफार्म, यात्री शेड, लाइट, फुट ओवरब्रिज और पेयजल की बेहतर व्यवस्था नहीं है. जबकि इस स्टेशन पूर्व मध्य रेलवे को अच्छा राजस्व मिलता है. यात्री ट्रेनों से मिलने वाले राजस्व के अलावा सीसीएल की विभिन्न कोलियरियों से होने वाले कोयला परिवहन से भी राजस्व मिलता है. यहां से प्रतिदिन दो-तीन रेलवे रैक कोयले की आपूर्ति देश के विभिन्न पावर प्लांटों में की जाती है. परंतु इस स्टेशन का जितना विकास होना चाहिए था, वह नहीं हो पाया है.
फुट ओवरब्रिज और ऊंचा प्लेटफार्म नहीं रहने से यात्रियों को परेशानी होती है. जबकि भंडारीदह स्टेशन के बाद बने डुमरी विहार, जगेश्वर विहार, कर्मा हाल्ट, अमलो, जारंगडीह आदि में ऊंचा प्लेटफार्म और फुट ओवरब्रिज का निर्माण बहुत पहले हो चुका है. भंडारीदह स्टेशन में तीन प्लेटफार्म हैं. अंतिम छोर जिसे चार नंबर प्लेटफार्म समझा जाता है, वहां रेलवे रैक में कोयला की लदाई होती है. इससे प्रदूषण फैलता है. एक नंबर प्लेटफार्म में भी पर्याप्त रोशनी का अभाव है. फुट ओवरब्रिज नहीं रहने के कारण जान जोखिम में डालकर यात्री एक नंबर से दो नंबर प्लेटफाॅर्म जाते हैं.शुरू नहीं हो सका है शक्तिपूंज एक्सप्रेस का ठहराव
भंडारीदह स्टेशन में जबलपुर-हावड़ा (11447 ) तथा हावड़ा-जबलपुर (11448) शक्तिपूंज एक्सप्रेस का ठहराव बंद है. पूर्व में दोनों ट्रेनों का नियमित ठहराव यहां होता था. कोरोना काल से बंद है. गिरिडीह सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी ने अप्रैल माह में भंडारीदह में इस ट्रेन का यहां ठहराव देने को लेकर केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को मांग पत्र सौंपा था. इसके बाद उन्होंने कहा था कि इस पर औपचारिक सहमति दी गयी है. जल्द ही तिथि घोषित की जायेगी. मालूम हो कि चंद्रपुरा व नावाडीह प्रखंड के अलावा भंडारीदह काॅलोनी, तुपकाडीह, तांतरी, पिछरी, सीसीएल कल्याणी व तुरियो काॅलोनी के लोगों को आवश्यक कार्यों व रोजगार के सिलसिले में कोलकाता, सिंगरोली तथा अन्य स्थानों में आना-जाना पड़ता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है